किसान आंदोलन: दुष्यंत चौटाला बोले- 24-48 घंटे में निकल आएगा समाधान
क्या है खबर?
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को दावा किया कि अगले 24 से 48 घंटे में किसानों और केंद्र सरकार के बीच बने गतिरोध का समाधान निकल आएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ बैठक के बाद उन्होंने ये बात कही।
उनकी तरफ से ये बात ऐसे समय पर कही गई है जब किसान संगठन आज से अपना आंदोलन तेज करने का ऐलान कर चुके हैं और आज दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेसवे को बंद करेंगे।
बयान
चौटाला बोले- आपसी सहमति से समाधान मिल जाएगा
शनिवार को समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए चौटाला ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि केंद्र और किसानों के बीच बातचीत होगी और फलदायी होगी। मुझे उम्मीद है कि अगले 24 से 48 घंटों में वार्ता का अंतिम दौर होगा और दोनों पक्ष निर्णायक समाधान पर पहुंचेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "मुझे उम्मीद है कि आपसी सहमति से एक रास्ता मिल जाएगा और गतिरोध का समाधान हो जाएगा। केंद्र सकारात्मक है।"
बयान
किसानों के अधिकारों को सुरक्षित रखना मेरा दायित्व- चौटाला
चौटाला ने ये भी कहा कि किसानों के प्रतिनिधि के रूप में उनका दायित्व है कि वे उनके अधिकारों को सुरक्षित रखें और उन्होंने इसी संबंध में केंद्रीय मंत्रियों से चर्चा की।
बता दें कि किसान चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JPP) का मुख्य वोटबैंक हैं और इसी कारण इस आंदोलन के दौरान चौटाला पर हरियाणा सरकार से इस्तीफा देने का दबाव बना है। वे किसानों की मांगे न माने जाने पर इस्तीफा देने की बात कह भी चुके हैं।
आंदोलन
आज से आंदोलन तेज करने वाले हैं किसान
चौटाला ने गतिरोध खत्म होने का ये दावा ऐसे समय पर किया है जब किसान आज से ही अपने आंदोलन को तेज करने वाले हैं। आज राजस्थान बॉर्डर से हजारों किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और दिल्ली-जयपुर हाइवे को बंद करेंगे।
इसके बाद 14 दिसंबर को पूरे देश के जिला कार्यालयों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और किसानों के प्रतिनिधि सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक अनशन पर बैठेंगे।
पृष्ठभूमि
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
बातचीत
किसानों और सरकार के बीच हो चुकी है पांच दौर की बैठक
इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीने से सड़कों पर हैं और 25 नवंबर से दिल्ली के आसपास डटे हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें समाधान का कोई रास्ता नहीं निकला है।
सरकार ने किसानों को कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, हालांकि किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और वे कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।