किसान आंदोलन के समर्थन के लिए नासिक से दिल्ली के लिए रवाना हुए 5,000 किसान
क्या है खबर?
कृषि कानूनों को लेकर पिछले 27 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का प्रदर्शन अब तेज गति से बढ़ता जा रहा है।
सरकार द्वारा कानूनों को निरस्त करने से इनकार करने के बाद किसाना नेताओं ने देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है।
इसके तहत अन्य राज्यों के किसान भी दिल्ली की ओर कूच करने लगे हैं। सोमवार को महाराष्ट्र के 20 जिलों के करीब 5,000 किसान अपने वाहनों पर नासिक से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
सभा
नासिक से रवाना होने से पहले किसानों ने आयोजित की सभा
अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) ने दिल्ली के लिए वाहन मार्च का आह्वान किया था। इसके लिए सोमवार को महाराष्ट्र के 20 जिलों के करीब 5,000 किसान नासिक में एकत्र हो गए।
इस दौरान दोपहर करीब 01:30 बजे सभी किसानों की एक सभा आयोजित की गई। जिसमें दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों का पूरा समर्थन देने का निर्णय किया।
इसके बाद सभी किसान अपने-अपने वाहनों से 1,266 किलोमीटर लंबे मार्च के लिए रवाना हो गए।
प्रदर्शन
राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर होने वाले प्रदर्शन में होंगे शामिल
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार AIKS के अध्यक्ष अशोक धवले ने कहा कि मार्च में शामिल होने वाले किसान 24 दिसंबर को राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर आयोजित होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि 3,000 किसान महाराष्ट्र की सीमा तक मार्च के साथ आए और उसके बाद 2,000 किसान दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
उन्होंने बताया मार्च के दौरान किसानों ने ओझर, पिंपलगांव बसंत, चंदवाड़, उमरेन, मालेगांव, शिरपुर और धुले के किसानों से भी मुलाकत की।
उद्देश्य
इस उद्देश्य से निकाला जा रहा है दिल्ली मार्च
AIKS के अध्यक्ष धवले ने बताया कि महाराष्ट्र से दिल्ली मार्च निकालने का प्रमुख उद्देश्य सरकार को यह बताना है कि तीन कृषि कानूनों का विरोध केवल पंजाब और हरियाणा राज्य के किसान ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह अखिल भारतीय विरोध है।
उन्होंने कहा कि सरकार प्रचार कर रही है कि आंदोलन पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों तक ही सीमित है। ऐसे में यह मार्च सरकार के दावों की पोल खोलकर रख देगा।
मुद्दा
क्या है किसानों के विरोध का कारण?
सितंबर में लागू किए गए कृषि कानूनों को लेकर पिछले कई महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने गत 25 नवंबर से अपने आंदोलन को तेज कर दिया था।
उन्होंने सरकार के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था। किसानों को डर है कि APMC मंडियों के बाहर व्यापार की अनुमति देने वाले कानून मंडियों को कमजोर कर देंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिलेगा। इसके चलते कॉरपोरेट जगह के लोग किसानों का शोषण करेंगे।
वार्ता
अब तक विफल रही है सभी वार्ताएं
बता दें कि सरकार और किसानों में अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी हैं और सभी बेनतीजा रही हैं। किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं, सरकार संशोधन करने को तैयार है।
गत बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सरकार को लिखित में जवाब दिया गया है। किसान मोर्चा ने सरकार से अपील की है कि वह आंदोलन को बदनाम ना करें और सभी किसानों से एकसाथ बात करें।
जानकारी
किसानों ने शुरू की एक दिन की भूख हड़ताल
इधर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर प्रदर्शन करे रहे किसानों ने सोमवार सुबह एक दिन की भूख हड़ताल शुरू कर दी। किसान नेताओं के अनुसार प्रदर्शन कर रहे किसान अलग-अलग समूहों में भूख-हड़ताल करेंगे और प्रत्येक समूह में 11 लोग होंगे।
न्यौता
किसानों की भूख हड़ताल को लेकर सरकार ने भेजा वार्ता का न्यौता
कृषि कानूनों के खिलाफ तेज होते प्रदर्शनों के बीच केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को बातचीत के लिए न्योता भेजा है। सरकार ने किसान नेताओं से अपनी सुविधा अनुसार तारीख तय कर बातचीत के लिए विज्ञान भवन आने को कहा है।
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने क्रांतिकारी किसान संगठन के पंजाब प्रमुख डॉक्टर दर्शन पाल के नाम पर भेजे पत्र में बातचीत का न्योता दिया है। 39 अन्य संगठनों को इसकी कॉपी भेजी गई है।