किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी ने किया आत्महत्या का प्रयास
क्या है खबर?
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 27 दिनों से हजारों किसान प्रदर्शन के लिए डटे हुए हैं।
सरकार द्वारा मांगे नहीं माने जाने से दुखी एक सिख संत (ग्रंथि) राम सिंह नानकसर ने गत 16 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद अब सोमवार को भी सिंघु बॉर्डर पर ही पंजाब के एक किसान ने जहरीला पदार्थ पीकर आत्महत्या का प्रयास किया।
आइए जानें पूरी खबर।
प्रकरण
किसानों के समर्थन में कुर्बानी देने के लिए खाया जहर
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब के तरनतारन निवासी किसान निरंजन सिंह (65) सोमवार सुबह ही प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे।
इस दौरान मौके पर मौजूद किसानों का दुख वह सहन नहीं कर पाए और दोपहर में उन्होंने जहरीला पदार्थ पी लिया।
तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सोनीपत के जनरल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से गंभीरावस्था में उसे PGI रोहतक अस्पताल में रैफर कर दिया। वहां उनकी हालत स्थिर है।
नोट
किसान की जेब से मिला किसानों के समर्थन में लिखा नोट
पुलिस ने बताया कि किसान निरंजन की जेब से किसानों के समर्थन में लिखा एक नोट भी बरामद हुआ है।
उन्होंने नोट में लिखा कि उससे किसानों का दुख देखा नहीं जा रहा है। सरकार कानूनों को वापस नहीं ले रही है। ऐसे में उन्होंने सोचा कि बिना कुर्बानी के किसान नहीं जीत सकते हैं। ऐसे में उन्होंने जहर खा लिया।
किसान ने लिखा कि किसान तीन महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है।
पृष्ठभूमि
संत राम सिंह ने लाइसेंसी बंदूक से मारी थी खुद को गोली
बता दें कि गत 16 दिसंबर को सिख संत राम सिंह (65) ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। वह हरियाणा SGPC सहित कई सिख संगठनों में पूर्व पदाधिकारी भी रह चुके थे।
उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा था कि किसानों का दुख देखा, बहुत दिल दुखा। सरकार न्याय नहीं दे रही। जुल्म करना और सहना पाप है। किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ नहीं किया। यह जुल्म के खिलाफ आवाज है।
मौत
अब तक हो चुकी है 41 किसानों की मौत
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पंजाब और हरियाणा में कृषि कानूनों के विरोध में 15 सितंबर से अब तक पंजाब के साथ-साथ दिल्ली में 41 किसानों की मौत हो चुकी है।
इनमें से 30 मालवा बेल्ट से, छह दोआबा बेल्ट, दो माजा बेल्ट और तीन हरियाणा से थे। इनमें से अधिकतर की तबीयत बिगड़ने से मौत हुई है। आंदोलन के दौरान लगातार बढ़ती मृतक किसानों की संख्या से किसानों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है और उग्र होने लगे हैं।
मुद्दा
क्या है किसानों के विरोध का कारण?
सितंबर में लागू किए गए कृषि कानूनों को लेकर पिछले कई महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने गत 25 नवंबर से अपने आंदोलन को तेज कर दिया था। उन्होंने सरकार के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था।
किसानों को डर है कि APMC मंडियों के बाहर व्यापार की अनुमति देने वाले कानून मंडियों को कमजोर कर देंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिलेगा। इसके चलते कॉरपोरेट जगह के लोग किसानों का शोषण करेंगे।
वार्ता
सरकार ने किसानों को फिर भेजा वार्ता के लिए न्योता
किसानों और सरकार के बीच अब तक की सभी वार्ताओं के विफल होने के बाद कई किसान सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल पर हैं।
इसी बीच केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को बातचीत के लिए फिर से न्योता भेजा है।
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने क्रांतिकारी किसान संगठन के पंजाब प्रमुख डॉक्टर दर्शन पाल के नाम पर भेजे पत्र में बातचीत का न्योता दिया है। 39 अन्य संगठनों को इसकी कॉपी भेजी गई है।