गुजरात दंगे: सबूतों के अभाव में 17 लोगों की हत्या के 22 आरोपी बरी
क्या है खबर?
गुजरात के पंचमहल जिले की एक अदालत ने 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में दो बच्चों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के 17 लोगों की हत्या के मामले के 22 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।
दो दशक तक चले इस मामले में केस के दौरान आठ आरोपियों की तो मौत भी हो चुकी है।
अदालत का कहना था कि लंबे समय बाद भी पुलिस मामले में ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है।
दलील
कोर्ट ने फैसले में क्या दी दलील?
बचाव पक्ष के वकील गोपाल सिंह सोलंकी ने बताया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हर्ष त्रिवेदी की अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है। इनमें से आठ की मामले की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि न्यायाधीश ने सबूतों के अभाव में यह फैसला सुनाया है। उनका कहना था कि पुलिस लंबे समय बाद भी आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी है। इसके अलावा गवाह भी मुकर गए हैं।
विरोध
अभियोजन पक्ष ने क्या दी थी दलील?
मामले की सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने कहा कि 2002 गुजरात दंगों के दौरान आरोपियों ने घरों में आग लगाकर दो बच्चों सहित 17 लोगों की हत्या कर दी थी।
इसके अलावा सबूतों को मिटाने के लिए शवों को आग के हवाले कर दिया था। पुलिस उनके शव बरामद नहीं कर पाई है।
उन्होंने यह भी कहा कि एक नदी के किनारे कुछ हड्डियां मिली थी, लेकिन वो इस कदर जली हुई थीं कि पीड़ितों की पहचान तक नहीं हो सकी।
पृष्ठभूमि
क्या था 17 लोगों की हत्या का मामला?
27 फरवरी, 2002 को गोधरा में कारसेवकों से भरी ट्रेन की बोगी में आग लगा दी थी। उसमें 54 कारसेवकों की मौत हो गई थी।
उसके बाद भड़के दंगों में दंगाइयों ने गोधरा से 30 किलोमीटर दूर स्थित कलोल कस्बे के देलोल गांव में कई घरों को आग लगा दी थी।
उस घटना में दो मासूम बच्चों सहित अल्पसंख्यक समाज के 17 लोगों की मौत हो गई थी। उसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी।
कार्रवाई
पुलिस ने 2004 में आरोपियों को किया था गिरफ्तार
इस मामले में पहले तो पुलिस 20 महीनों तक FIR दर्ज किए बिना ही जांच करती रही, लेकिन दिसंबर, 2003 में एक अन्य पुलिस निरीक्षक ने नई FIR दर्ज कर फिर से जांच शुरू की और 2004 में 22 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
उसके बाद आरोपियों ने जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन स्थानीय कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया।
बाद में आरोपियों ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जहां से सभी को जमानत मिल गई थी।