गुजरात: बिलकिस बानो का गैंगरेप करने वाले सभी 11 दोषियों की हुई रिहाई
क्या है खबर?
गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में दोषी सभी 11 कैदियों को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिहा कर दिया है। सरकार ने 1992 की माफी नीति के तहत इन्हें गोधरा जेल से रिहा करने का फैसला किया है।
जिन सजायाफ्ता कैदियों को रिहा किया गया है, उनमें प्रदीप मोढिया, राधेश्याम शाह, केशुभाई वदानिया, जसवंत चतुरभाई नाई, वकाभाई वदानिया, राजीभाई सोनी, शैलेशभाई भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी, गोविंदभाई नाई, रमेशभाई चौहान और मितेश भट्ट शामिल हैं।
पृष्ठभूमि
क्या था बिलकिस बानो गैंगरेप केस?
3 मार्च, 2002 को गोधरा कांड के दौरान दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था।
जिस समय इस हैवानियत को अंजाम दिया गया, उस वक्त बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थी। दंगाइयों ने बिलकिस की तीन वर्षीय बच्ची समेत उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी थी।
2004 में इस मामले में 11 लोगों की गिरफ्तारी हुई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुंबई में इस मामले की सुनवाई हुई थी।
जानकारी
2008 में दोषियों को मिली उम्रकैद की सजा
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को 11 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था।
ये दोषी 15 साल से अधिक समय जेल में बीता चुके हैं। इनमें से राधेश्याम ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर माफी की अपील की थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने कह दिया कि इस पर फैसला महाराष्ट्र सरकार कर सकती है।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दोषी
हाई कोर्ट से निराशा हाथ लगने के बाद राधेश्याम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि वह 1 अप्रैल, 2022 तक 15 साल और चार महीने में जेल में रह चुका है।
उसकी याचिका पर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अपराध गुजरात में हुआ था। इसलिए गुजरात राधेश्याम के आवेदन पर विचार कर सकती है। कोर्ट ने सरकार को दो महीने के भीतर रिहाई के आवेदन पर फैसला लेने की बात कही।
जानकारी
सरकार ने गठित की समिति
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गुजरात सरकार ने पंचमहल कलेक्टर सुजल मायात्रा के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया, जिसने सर्वसम्मति से इन 11 कैदियों को रिहा करने की सिफारिश की। इस सिफारिश पर राज्य सरकार ने इन्हें जेल से आजाद कर दिया है।
बयान
राज्य सरकार का क्या कहना है?
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गुजरात के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजकुमार ने बताया कि जेल में 14 साल पूरे होने और उम्र, जेल में बर्ताव और अपराध की प्रकृति जैसे कारकों के चलते सजा में छूट के आवेदन पर विचार किया गया था। उम्रकैद का मतलब न्यूनतम 14 साल की सजा होती है और इन दोषियों ने इतनी सजा काट ली है।
समिति के अलावा जिला कानूनी अधिकारियों ने भी सजा में छूट की सिफारिश की थी।