निजी कंपनियों को सैन्य हेलिकॉप्टर बनाने की छूट देगी सरकार
क्या है खबर?
सैन्य हार्डवेयर क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर भारत' को बढ़ावा देते हुए रक्षा मंत्रालय ने रक्षा खरीद प्रक्रिया (DAP) में बदलाव का फैसला लिया है।
इसके बाद निजी क्षेत्र की कंपनियां सरकारी रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर जरूरी हथियार सिस्टम बना सकेंगी। इसमें 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी निजी कंपनियों की होगी।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की साझेदारी की शुरुआत इंडियन मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर (IMRH) के विकास और उत्पादन से होगी।
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निजी क्षेत्र को क्यों दी जा रही अधिक हिस्सेदारी?
ज्वाइंट वेंचर में निजी क्षेत्र को अधिक हिस्सेदारी देने की वजह यह बताई जा रही है कि सरकारी उपक्रम तय समय में उत्पाद डिलीवर नहीं कर पाते, जिससे लागत बढ़ जाती है। इसके चलते सरकार को दूसरे देशों से हथियार खरीदने पड़ते हैं।
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रूस निर्मित हेलिकॉप्टरों की जगह लेंगे IMRH
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस साझेदारी के तहत बनने वाले हेलिकॉप्टर आगे चलकर भारतीय सेना के बेड़े में शामिल रूस निर्मित Mi-17 और Mi-8 की जगह लेंगे।
इन हेलिकॉप्टरों का टेक-ऑफ वजन 13 टन होगा और ये हवाई लड़ाई, हवाई हमले, पनडुब्बी-रोधी, जहाज-रोधी, सैन्य परिवहन और अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों (VIP) के परिवहन में इस्तेमाल किए जाएंगे।
अगर सब कुछ सही रहा तो अगले पांच से सात साल में ये हेलिकॉप्टर भारतीय सैन्य बलों को मिल जाएंगे।
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निजी क्षेत्र ने दिखाई दिलचस्पी
बताया जा रहा है कि निजी कंपनियों ने इस तरह के प्रोजेक्ट में शामिल होने की दिलचस्पी दिखाई है। रक्षा मंत्रालय ने भी उन्हें अगले 5-7 साल में निर्माण कार्य शुरू करने को कहा है।
इसी सिलसिले में फ्रांस की कंपनी सफ्रां ने 8 जुलाई को हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (HAL) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
इसके तहत दोनों कंपनियों एक ज्वॉइंट वेंचर बनाएगी, जो IMRH के इंजन के विकास और उत्पादन आदि का काम करेगा।
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विदेशों में अपने उत्पाद बेच सकेंगी निजी कंपनियां
अधिकारियों ने बताया कि निजी कंपनियों को अपने उत्पादन का 25 प्रतिशत हिस्सा अन्य देशों में बेचने की भी छूट मिलेगी ताकि वो देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित कर सके।
वहीं भारतीय सैन्य बलों को भी IMRH खरीदने को कहा गया है।
इसी तरह निजी कंपनियों ने भी रक्षा मंत्रालय से यह आश्वासन मांगा है कि अगर अगले पांच सालों में ये हेलिकॉप्टर तैयार हो जाते हैं तो रक्षा बलों को उन्हें खरीदना होगा।
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पांच सालों में मिल सकते हैं हेलिकॉप्टर
इंडियन मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर के अगले पांच से सात सालों तक भारतीय सैन्य बलों को मिलने की उम्मीद है, वहीं नौसेना को अपना पहला पनडुब्बी-रोधी वारफेयर सरकोर्स्की MH 60R सीहॉक हेलिकॉप्टर इस साल के अंत तक मिल सकता है।