भारत ने खारिज कीं हिंसाग्रस्त श्रीलंका में अपनी सेना भेजने की अटकलें
क्या है खबर?
भारत ने आर्थिक और सियासी संकट से जूझ रहे हिंसाग्रस्त श्रीलंका में अपनी सेना भेजने की अटकलों को खारिज किया है। भारतीय दूतावास ने आज स्पष्ट किया कि भारत श्रीलंका के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक रिकवरी का पूर्ण समर्थन करता है और वहां अपनी सेना नहीं भेजेगा।
दूतावास की तरफ से ये बयान ऐसे समय पर आया है जब सोशल मीडिया पर अटकलें चल रही हैं कि भारत हिंसा को संभालने के लिए अपनी सेना श्रीलंका भेज सकता है।
बयान
भारत सरकार के रवैये के अनुरूप नहीं हैं सेना भेजने की खबरें- दूतावास
इन अटकलों को खारिज करते हुए भारतीय दूतावास ने कहा, 'मीडिया के एक वर्ग और सोशल मीडिया पर भारत के अपनी सेना श्रीलंका भेजने को लेकर चल रहीं रिपोर्ट्स को दूतावास स्पष्ट तौर पर खारिज करता है। ये रिपोर्ट्स और ऐसे विचार भारत सरकार की रवैये के अनुरूप नहीं हैं।'
दूतावास ने आगे कहा, 'भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कल साफ कर चुके हैं कि भारत श्रीलंका के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक रिकवरी का पूरा समर्थन करता है।'
हिंसा
श्रीलंका में बढ़ती जा रही है हिंसा
बता दें कि अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में हिंसा जोर पकड़ने लगी है। लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार के समर्थकों पर प्रदर्शनकारी लोगों पर हमला करने का आरोप लगा है। गुस्से में आए प्रदर्शनकारियों ने देशभर में राजपक्षे के समर्थकों पर हमला किया।
हिंसा में अब तक आठ लोग मारे गए हैं, वहीं 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में एक सांसद भी शामिल है।
जानकारी
हिंसक प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश
इस हिंसा को रोकने के लिए देशभर में कर्फ्यू लगा दिया गया है और हिंसक प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। देश में आपातकाल पहले से ही लागू है। शुक्रवार को एक महीने में दूसरी बार आपातकाल लगाया गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री
महिंद्रा राजपक्षे के नौसैनिक अड्डे पर छिपे होने की खबरें
इस हिंसा के बीच महिंद्रा राजपक्षे ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अभी उनका कुछ अता-पता नहीं है और कुछ रिपोर्ट्स में उनके त्रिंकोमाली स्थित नौसैनिक अड्डे पर छिपे होने की संभावना जताई गई है।
गुस्साए लोग इस नौसैनिक अड्डे के बाहर भी प्रदर्शन कर रहे हैं। वो राजपक्षे के घर को पहले ही आग के हवाले कर चुके हैं।
प्रदर्शनकारी देश की इस स्थिति के लिए राजपक्षे परिवार को ही जिम्मेदार मानते हैं।
आर्थिक संकट
श्रीलंका की आर्थिक स्थिति कैसी है?
साल 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उसके पास विदेशी मुद्रा खत्म हो चुकी है और वह जरूरी चीजें आयात नहीं कर पा रहा है।
देश में डीजल खत्म होने से वाहन चलना बंद हो गए हैं। उत्पादन के अभाव में बिजली संकट भी गहरा रहा है और कई घंटों के पावर कट हो रहे हैं। महंगाई के कारण आम जरूरत की चीजें बेहद महंगी बिक रही हैं।
कारण
क्या है आर्थिक संकट का कारण?
श्रीलंका में 2016 से ही स्थिति खराब होने लगी थी। तब भयंकर सूखे के कारण किसानों की कमर टूट गई थी।
इसके बाद 2019 में चर्चों में सिलेसिलेवार बम धमाकों में करीब 300 लोगों की मौत हुई थी। इसका पर्यटन पर भारी असर पड़ा। 2020 में कोरोना महामारी से हालात बदतर हो गए और पर्यटन पूरी तरह ठप पड़ गया।
अधिक सरकारी खर्च, टैक्स में कटौती के कारण सरकार की आमदनी में गिरावट और जैविक खेती भी इसका कारण हैं।