सुप्रीम कोर्ट ने लगाई INS विराट को तोड़ने पर रोक, कंपनी को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नौसेना के ऐतिहासिक विमान वाहक युद्धपोत INS विराट को तोड़ने पर रोक लगा दी है। जहाज को एक संग्रहालय में तब्दील करने का प्रस्ताव रखने वाले एक समूह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है। कोर्ट ने सरकार से INS विराट खरीदने वाली कंपनी को भी नोटिस जारी किया है। बता दें कि युद्धपोत का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही तोड़ा जा चुका है।
जहाज तोड़ने वाली कंपनी ने 2017 में खरीदा था INS विराट
2017 में सेवा से रिटायर हुए INS विराट को इसी साल हुई नीलामी में गुजरात की जहाज तोड़ने वाली कंपनी 'श्रीराम ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज' ने 38.54 करोड़ रुपये की कीमत पर खरीदा था। कंपनी युद्धपोत को गुजरात के अलंग स्थित जहाज तोड़ने वाली जगह पर ले गई और दिसंबर में इसे तोड़ने का काम शुरू किया गया। अभी तक लगभग 30 प्रतिशत हिस्से को तोड़ा जा चुका है और कंपनी के अनुसार काम पूरा होने में आठ-नौ महीने लगेंगे।
INS विराट को कबाड़ में बदलने से बचाने के लिए आगे आई मुंबई की एक कंपनी
हालांकि इस बीच INS विराट को कबाड़ में बदलने से बचाने की मांग लगातार उठती रही और मुंबई की एनवीटेक मरीन कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी इसके लिए आगे आई। कंपनी ने INS विराट को 100 करोड़ रुपये में खरीदने और इसे एक संग्रहालय में तब्दील करने का प्रस्ताव रखा। कंपनी के इस प्रस्ताव को महाराष्ट्र और गोवा की सरकारों की मंजूरी भी मिल गई और उन्होंने इस संबंध में रक्षा मंत्रालय को एक पत्र भी लिखा।
रक्षा मंत्रालय ने ठुकरा दिया था INS विराट को एनवीटेक के हवाले करने का प्रस्ताव
इस पत्र में रक्षा मंत्रालय से INS विराट को संग्रहालय में तब्दील करने के लिए इसे एनवीटेक के हवाले करने का अनुरोध किया गया था। हालांकि मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि श्रीराम ग्रुप युद्धपोत को बेचने का इच्छुक नहीं है। श्रीराम ग्रुप ने भी एनवीटेक के सामने ऐसी शर्तें रखीं जिसके बाद युद्धपोत को बचा पाना लगभग नामुमकिन लग रहा था। इसी के बाद एनवीटेक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
क्या है INS विराट का इतिहास?
INS विराट को मौलिक रूप से ब्रिटेश नौसेना के लिए बनाया गया था और इसे 18 नवंबर, 1959 को ब्रिटिश नौसेना में शामिल किया गया। तब इसे HMS हरमीस के नाम से जाना जाता था और इसने 1982 के फॉकलैंड्स युद्ध में हिस्सा भी लिया। इसे 1984 में रिटायर कर दिया और 1986 में भारत ने इसे खरीद लिया। 12 मई, 1987 को यह भारतीय नौसेना में शामिल हुआ और अपनी सेवा के दौरान कई महत्वपूर्ण अभियानों में शामिल रहा।
2017 में रिटायर हुआ INS विराट
लगभग तीन दशक की सेवा के बाद INS विराट को मार्च, 2017 में रिटायर कर दिया गया। पहले इसे 2012 में ही रिटायर किया जाना था, लेकिन INS विक्रमादित्य के नौसेना में शामिल होने में देरी के कारण इसकी सेवाओं को बढ़ा दिया गया।