ये हैं कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान प्रदर्शनों के प्रमुख चेहरे
इन दिनों देश में किसानों के प्रदर्शन का मुद्दा सुर्खियों में छाया हुआ है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में मुख्यत: पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली में और दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। लाखों की संख्या में किसान इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस बीच आपके लिए उन पांच किसान नेताओं के बारे में जानना जरूरी हो जाता है, जो इस प्रदर्शन में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
किसान आंदोलनों का प्रमुख चेहरा हैं जोगिंदर सिंह उगराहां
पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम के रहने वाले जोगिंदर सिंह उगराहां देश में किसान आंदोलनों का प्रमुख चेहरा हैं। बीबीसी के अनुसार, किसान परिवार में जन्में जोगिंदर सिंह सेना से रिटायर होने के बाद किसानों के हित की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने 2002 में भारतीय किसान संगठन (उगराहां) बनाया और उसके बाद से किसानों के हित में आवाज उठाने लगे। जोगिंदर सिंह बेहतरीन वक्ता हैं और उनके भाषण सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
पंजाब के सबसे तेज-तर्रार किसान नेता हैं बलबीर सिंह राजेवाल
बलबीर सिंह राजेवाल पंजाब के खन्ना जिले के राजेवाल गांव के रहने वाले हैं। 77 वर्षीय राजेवाल ने 12वीं तक पढाई की है। वो भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक नेताओं में शामिल हैं। भारतीय किसान यूनियन का संविधान भी उन्होंने ही लिखा है। राजेवाल को पंजाब का सबसे तेज-तर्राज किसान नेता माना जाता है और वो वर्तमान में जारी प्रदर्शनों का चेहरा भी हैं। उन्होंने प्रदर्शनों के डिमांड चार्टर का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है।
सबसे लोकप्रिय किसान नेताओं में शामिल हैं जगमोहन सिंह
जगमोहन सिंह फिरोजपुर जिले के करमा गांव से हैं। वो भारतीय किसान यूनियन डकौंदा के नेता हैं, जो उगराहां के बाद दूसरा सबसे बड़ा संगठन है। पंजाब के सबसे लोकप्रिय किसान नेताओं में शामिल जगमोहन सिंह 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद से समाण सेवा के काम में लगे हैं। फिलहाल वो 30 किसान संगठनों के गठबंधन में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान प्रदर्शनों में उनकी क्या भूमिका है।
किसान आंदोलनों का युवा चेहरा है सरवन सिंह पंधेर
सरवन सिंह पंधेर किसान संगठनों का युवा चेहरा है। किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन जारी आंदोलनों का प्रमुख चेहरा हैं। सरवन के संगठन का मुख्य आधार दोआबा और मालवा क्षेत्र में है। अमृतसर के पंधेर गांव के रहने वाले सरवन ग्रेजुएट हैं और पढ़ाई के दिनों से आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लेते आए हैं। सरवन सिंह ने खुद को सार्वजनिक हित के लिए समर्पित कर दिया है। इसीलिए उन्होंने शादी नहीं की है।
डॉक्टरी छोड़कर समाज सेवा में उतरे थे डॉक्टर दर्शनपाल
डॉक्टर दर्शनपाल क्रांतिकारी किसान यूनियन से संबंध रखते हैं। इसके अलावा वो 30 किसान संगठनों के समन्वयक भी हैं। MBBS और MD की पढ़ाई करने के बाद दर्शनपाल ने कुछ समय तक सरकारी नौकरी की। वो पढ़ाई और नौकरी के समय से छात्र संघ और डॉक्टरों के संगठन में सक्रिय रहे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजीकरण के विरोधी डॉक्टर दर्शनपाल 2002 से किसान और सामाजिक संगठनों के कामों में सक्रिय हैं।