कृषि कानून: किसानों ने लिया सरकार के साथ बैठक में शामिल होने का फैसला
क्या है खबर?
नए कृषि कानूनों को वापस लेने सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों को सरकार मनाने में जुट गई है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बुराडी में वार्ता करने के प्रस्ताव को ठुकराए जाने के बाद सरकार ने अब सरकार ने किसानों को बिना किसी शर्त के वार्ता के लिए आमंत्रित किया है।
सरकार के निमंत्रण के बाद किसान संगठनों ने इस पर फैसला लेने के लिए बैठक की और उसमें शामिल होने का निर्णय किया है।
पृष्ठभूमि
गृह मंत्री ने दिया था बुराड़ी में बातचीत करने का प्रस्ताव
आंदोलन को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को 3 दिसंबर से पहले बुराड़ी आकर अपना प्रदर्शन करने की शर्त रखी थी, जहां दिल्ली पुलिस ने किसानों के लिए जगह निर्धारित की है।
शाह ने कहा था कि अगर किसान ऐसा करते हैं तो सरकार अगले दिन उनसे बात करने को तैयार है।
इसके बाद 30 किसान संगठनों ने बैठक की और प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पर ही डटे रहने का निर्णय किया।
दलील
किसानों ने बुराड़ी को करार दिया था 'खुली जेल'
बैठक के बाद पंजाब के BKU क्रांतिकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि सभी किसान बिना शर्त के सरकार से बातचीत करना चाहते हैं। बुराड़ी खुली जेल है और आंदोलन करने की जगह नहीं है। ऐसे में किसान किसी भी सूरत में बुराड़ी नहीं जाएंगे। सरकार को बिना शर्त के बातचीत की पहल करनी चाहिए।
उन्होंने दिल्ली के पांच प्रवेश बिंदुओं को अवरुद्ध करके दिल्ली का घेराव करने की चेतावनी भी दी है।
जानकारी
प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद अमित शाह ने ली कई बैठक
किसानों द्वारा प्रस्वात को ठुकराने के बाद गृह मंत्री ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आदि के साथ अहम बैठक की। इसी तरह मंगलवार को भी हुई अहम बैठक में हिस्सा लिया।
सहमति
बिना शर्त बातचीत को तैयार हुई सरकार, किसानों को भेजा निमंत्रण
किसानों के बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए मंगलवार को सरकार ने बिना शर्त वार्ता की मांग को स्वीकार करते हुए 32 किसान संगठनों को मंगलवार दोपहर 3 बजे दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में वार्ता का निमंत्रण भेज दिया।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि जो संगठन और नेता पहले दौर की बातचीत में शामिल थे, उन सभी को फिर बुलाया गया है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर फैसला लेने के लिए किसान संगठनों ने बैठक आयोजित की थी।
निर्णय
किसानों ने लिया बैठक में शामिल होने का निर्णय
सरकार के प्रस्ताव पर निर्णय के लिए किसान संगठन ने मंगलवार सुबह सिंधु बॉर्डर पर अहम बैठक की ओर इसमें 3 बजे बैठक में शामिल होने का निर्णय किया। बैठक में पंजाब के 32 किसानों संगठनों ने बिना शर्त वार्ता का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
इनके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा के चार सदस्यों को भी बैठक में ले जाने का निर्णय किया गया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक से कुछ हल निकल सकता है।
आपत्ति
किसान नेताओं ने प्रस्ताव पर जताई यह आपत्ति
सरकार के ओर से पंजाब के 32 किसान संगठनों को ही वार्ता में बुलाने के निमंत्रण पर कई किसान नेताओं ने विरोध जताया है।
किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुखविर सिंह ने कहा कि सरकार ने सभी संगठनों के बजाय केवल 32 संगठनों को ही बुलाया है। वह कैबिनेट मंत्रियों से बात कर सभी किसान यूनियन के पदाधिकारियों को बुलाने के लिए कहेंगे। उन्होंने कहा कि फैसला केवल पंजाब के लिए न होकर पूरे देश के किसानों के लिए होगा।
जानकारी
पंजाब विशिष्ट पैकेज नहीं होगा स्वीकार्य- जगमोहन सिंह
भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि उम्मीद है कि सरकार सभी यूनियन के पदाधिकारियों को बुलाएगी। सरकार के पंजाब विशिष्ट पैकेज या प्रस्ताव को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
समर्थन
भीम आर्मी ने भी किया किसान आंदोलन का समर्थन
हरियाणा की खाप पंचायतों द्वारा किसानों के आंदोलन का समर्थन करने के बाद अब भीम आर्मी ने भी आंदोलन का समर्थन कर दिया है।
भीम आर्मी के कार्यकर्ता मंगलवार सुबह दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंच गए और यहां उन्होंने किसानों के समर्थन में जमकर नारेबाजी की।
इस दौरान किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से पुलिस के बेरिकेडिंग को हटाने का भी प्रयास किया, लेकिन पुलिस की समझाइश के बाद मामला शांत हो गया।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखें विरोध का वीडियो
#WATCH Protesting farmers use a tractor to remove barricading done at Ghazipur-Ghaziabad (Delhi-UP) border#FarmersProtest #Ghaziabad pic.twitter.com/g3VfCMFEAI
— ANI (@ANI) December 1, 2020
चिंता
कनाडा के प्रधानमंत्री ने भी जताई किसानों के आंदोलन पर चिंता
भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी चिंता जताई है। इस मामले पर प्रतिक्रिया देने वाले वह पहले अंतरराष्ट्रीय नेता है।
उन्होंने गुरु नानक जयंती पर देश में सिख समाज के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि भारत से आने वाली किसानों के प्रदर्शन की खबरों वह नहीं बोलेंगे तो उन्हें पछतावा होगा। यह गंभीर मामला है। सिख समाज के लोगों को अपने परिवार और दोस्तों की चिंता है।