कृषि विधेयक मुद्दा: राज्यसभा की फुटेज से उठे केंद्र सरकार के दावों पर सवाल
राज्यसभा की कार्यवाही की एक वीडियो फुटेज ने कृषि विधेयकों पर वोटिंग के दौरान नियमों का पूरी तरह पालन किए जाने और इससे संबंधित घटनाक्रम के केंद्र सरकार के दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। NDTV द्वारा प्राप्त की गई यह फुटेज विधेयकों पर वोटिंग कराने के लिए सदन की कार्यवाही बढ़ाने और वोटिंग की मांग के समय विपक्षी सांसदों के सीट पर न होने के सरकार के दावों को गलत साबित करती हुई दिखती है।
क्या है पूरा मामला?
किसानों के गुस्से का केंद्र बने मोदी सरकार के दो कृषि विधेयक 20 सितंबर ध्वनि मत के जरिए राज्यसभा से पारित हुए थे और इस दौरान सदन में काफी हंगामा हुआ था। हंगामे के दौरान उपसभापति हरिवंश के साथ अमर्यादित व्यवहार के लिए सभापति वेंकैया नायडू ने आठ विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया था। वहीं विपक्ष ने उपसभापति और सरकार पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा था कि वोटिंग होने पर विधेयक पारित नहीं हो पाते।
क्या थे विपक्ष के आरोप?
विपक्ष ने आरोप लगाए थे कि उसके बार-बार मांग करने के बावजूद सरकार ने विधेयकों के स्थाई समिति को भेजे जाने पर वोटिंग नहीं कराई और जल्दबाजी में विधेयकों को ध्वनि मत के जरिए पारित घोषित कर दिया। इसके अलावा विपक्ष ने ये भी कहा था कि 12 विपक्षी पार्टियों के सदन की कार्यवाही तय समय से आगे न बढ़ाने की मांग के बावजूद उपसभापति ने कार्यवाही का समय बढ़ा दिया जो राज्यसभा के नियम 37 का उल्लंघन है।
सरकार ने क्या दावा किया था?
मामले पर सरकार ने कहा था कि वोटिंग की मांग करते वक्त विपक्षी सांसद अपनी सीटों पर नहीं थे और इसलिए नियमों के मुताबिक उनकी मांगों को अस्वीकार कर ध्वनि मत से विधेयक पारित कराए गएष कार्यवाही का समय बढ़ाने पर सरकार ने कहा कि संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कार्यवाही का समय बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था जिसे स्वीकार कर लिया गया। सरकार के मुताबिक, संसद में ऐसा होता रहा है और ये सामान्य प्रक्रिया है।
फुटेज में क्या सामने आया?
अब NDTV द्वारा प्राप्त की गई फुटेज में देखा जा सकता है कि दोपहर 1:03 बजे के आसपास नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद कहते हैं, "विपक्षी पार्टियां कह रही हैं कि आज समय नहीं बढ़ाया जाना चाहिए और मंत्री कल जबाव दे सकते हैं।" इसके बावजूद उपसभापति हरिवंश समय बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं। विपक्ष के अनुसार, विपक्ष के मना करने के बावजूद एकतरफा तरीके से सदन की कार्यवाही बढ़ाकर नियम 37 का उल्लंघन किया गया।
विधेयकों को स्थाई समिति को भेजने जाने की मांग करते वक्त सीटों पर थे सांसद
फुटेज में ये भी देखा जा सकता है कि कम से कम दो विपक्षी सांसद विधेयकों को स्थाई समिति के पास भेजने पर वोटिंग कराने का प्रस्ताव रखते वक्त अपनी सीटों पर थे। फुटेज में देखा जा सकता है कि लगभग 1:10 बजे उपसभापति ने विधेयकों को स्थाई समिति के पास भेजने के DMK सांसद तिरूचि सिवा के प्रस्ताव को लिया और सिवा के इस पर वोटिंग कराने की मांग के बावजूद इसे ध्वनि मत से खारिज कर दिया।
CPM सांसद केके रागेश के प्रस्ताव को भी किया गया ध्वनि मत से खारिज
इसी तरह CPM सांसद केके रागेश ने भी 1:11 बजे विधेयकों को स्थाई समिति के पास भेजने के अपने प्रस्ताव पर वोटिंग की मांग की, लेकिन उपसभापति ने सिवा की तरह रागेश के प्रस्ताव को भी ध्वनि मत के जरिए खारिज घोषित कर दिया। सांसदों के सीट पर न होने के दावे को सरासर झूठ बताते हुए रागेश ने NDTV से कहा, "मेरे संवैधानिक और संसदीय अधिकारों का हनन हुआ। सच ये है कि सरकार के पास संख्याबल नहीं था।"