तेजस के बाद सरकार ने शुरू की मिग-29 और सुखोई-30 लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी
भारत सरकार ने वायुसेना (IAF) को मजबूत बनाने के लिए पिछले सप्ताह 83 नए तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण की मंजूरी जारी करने के बाद अब मिग-29 और सुखोई-30 विमानों की खरीद की ओर आधिकारिक कदम बढ़ा दिए हैं। इसमें 21 मिग-29 और 12 सुखोई-30MKI विमान शामिल है। सरकार इन विमानों को पहले तुलना में अधिक सस्ती दर पर खरीदने की योजना तैयार कर रही है। इससे वायुसेना को और अधिक मजबूती मिलेगी।
सरकार ने 13 जनवरी को जारी की थी तेजस विमानों के लिए मंजूरी
बता दें कि 13 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति (CCS) की बैठक में 83 तेजस विमानों की खरीद के लिए 48,000 करोड़ रुपये की डील को मंजूरी दी गई थी। इस डील के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा बनाए गए 73 हल्के लड़ाकू विमान तेजस Mk-1A और 10 तेजस Mk-1 ट्रेनर विमान खरीदें जाएंगे।यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी स्वदेशी रक्षा खरीद होगी।
रूस की रोसबोन एक्सपोर्ट कंपनी से खरीदे जाएंगे मिग-29 विमान
TOI के अनुसार तेजस विमानों के बाद सरकार ने रूस की सरकारी कंपनी रोसबोन एक्सपोर्ट से 21 नए मिग-29 विमान खरीदने की योजना तैयार की है। इसके लिए कंपनी को जल्द ही प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। इस विमानों के मिलने के बाद IAF में मिग विमानों की संख्या बढ़कर 59 हो जाएगी। इसी तरह 12 सुखोई-30MKI विमान मिलने के बाद IAF में इनकी संख्या बढ़कर 282 पर पहुंच जाएगी। सुखोई के मैन्युफैक्चरिंग का लाइसेंस हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)के पास है।
चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए 42 स्क्वॉड्रन की है जरूरत
IAF से मिग-21, मिग-23 और मिग-27 के बाहर होने के बाद स्क्वॉड्रन की संख्या घटकर 30 रह जाएगी। साल 2024 तक बचे हुए चार मिग-21 "बाइसन्स" स्क्वाड्रन भी एयरफोर्स से बाहर हो जाएंगे। ऐसे में चीन और पाकिस्तान के खतरे से निपटने के लिए कम से कम 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत होगी। एक स्क्वॉड्रन में 16-18 जेट होते हैं। जनवरी 2024 से दिसंबर 2028 तक 83 नए तेजस आने के बाद IAF ताकत में बढ़ोतरी होगी।
जुलाई 2019 में मिग-29 की खरीद के लिए जारी की थी शुरुआती मंजूरी
बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने जुलाई 2019 में एविएनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सुइट्स के साथ 21 मिग-29 विमानों की खरीद के लिए शुरुआती मंजूरी जारी की थी। इसमें 59 मौजूदा जेट विमानों को अपग्रेड करने की बात भी शामिल थी। इस पर 7,418 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान था। इसी तरह 10,730 करोड़ रुपये की लागत से 12 नए ट्विन-सीट सुखोई लड़ाकू विमानों की खरीदने के लिए भी मंजूरी दी गई थी।
'मेक इन इंडिया' के तहत 114 नए लड़ाकू विमान खरीदने की योजना
बता दें कि IAF ने रणनीतिक साझेदारी नीति के तहत 20 बिलियन डॉलर की लागत से 'मेक इन इंडिया' के तहत 114 नए लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बनाई है। इस परियोजना को अप्रैल-मई तक आवश्यकता की स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। इससे IAF को काफी मजबूती मिलेगी। इनमें फ्रांस से खरीदे के राफेल लड़ाकू विमान सबसे अहम होंगे। बता दें कि भारत ने फ्रांस की सरकार ने 36 राफेल विमानों के लिए 59,000 करोड़ का सौदा किया है।