कोरोना वायरस: वैक्सीन वितरण को लेकर क्या है विश्व स्वास्थ्य संगठन की योजना?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अमीर देशों से गरीब देशों को कोरोना वायरस की वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए वैश्विक साझेदारी का सहयोगी बनने की अपील की है। संगठन का कहना है कि 'वैक्सीन नेशनलिज्म' के कई नुकसान हैं। संगठन ने अमीर देशों से आगे आकर इस महामारी के रोकथाम में गरीब देशों की मदद करने को कहा है। आइये, जानते हैं कि संगठन की योजना क्या है और अमीर देश इस दिशा में क्या कर रहे हैं।
संगठन का वैक्सीन कार्यक्रम क्या है?
संगठन ने गरीब देशों तक वैक्सीन की आपूर्ति के लिए कोवैक्स (COVAX) कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत अमीर देशों और दानवीरों से आर्थिक मदद लेकर उससे कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार की जाएगी। बाद में इस वैक्सीन को समान रूप से दुनियाभर के देशों में वितरित किया जाएगा ताकि कोई देश इससे वंचित न रहे। इसका उद्देश्य अगले साल के अंत तक प्रभावी और मंजूरीशुदा वैक्सीन की 200 करोड़ खुराकों का वितरण करना है।
कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देशों के पास 31 अगस्त तक का समय
इस कार्यक्रम की बारीकियों पर अभी काम किया जा रहा है। देशों को इसमें शामिल होने के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन गावी वैक्सीन एलायंस और कोएलिशन फॉर एपिडेमिक प्रीपेयर्डनेस इनोवेशन (CEPI) के साथ मिलकर इसका नेतृत्व कर रहा है। कोवैक्स एक बड़े कार्यक्रम 'एक्सेस टू कोविड-19 टूल्स (ACT) एक्सीलेटर' का हिस्सा है। यह महामारी से लड़ाई के लिए वैक्सीन, इलाज, टेस्ट और दूसरे स्वास्थ्य संसाधनों की उपलब्धता पर काम करता है।
अमीर देश इस दिशा में क्या काम कर रहे हैं?
अमीर देश अभी तक केवल अपने नागरिकों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर काम कर रहे हैं। इसके लिए वो ट्रायल के नतीजे आने से पहले ही कंपनियों के साथ वैक्सीन को लेकर समझौते कर रहे हैं। अमेरिका, इंग्लैंड, जापान और यूरोपीय देशों की सरकारों ने फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन, एस्ट्रेजेनेका आदि कंपनियों के साथ वैक्सीन के लिए करोड़ों रुपये के सौदे कर लिए हैं। इन देशों ने कई लाख खुराकों के ऑर्डर पहले ही दे दिए हैं।
रूस ने अपने नागरिकों के लिए उतारी वैक्सीन
दूसरी तरफ रूस और चीन ने तो कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन्स पर काम करने के साथ-साथ अपने नागरिकों के लिए उपलब्ध करा दिया है। रूस ने सबसे पहले दावा किया था कि उसकी वैक्सीन पूरी तरह कारगर और सुरक्षित है।
WHO को सता रही यह चिंता
सब देशों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए शुरू किए गए ACT को सरकारों और दानवीरों से आर्थिक मिलती है। इसे इस काम के लिए 31 बिलियन डॉलर की जरूरत है। अभी तक 92 गरीब और 80 अमीर देश कोवैक्स के साथ जुड़कर दान करने की इच्छा जता चुके हैं। WHO को इस बात की चिंता है कि अमीर देश अपने नागरिकों के लिए वैक्सीन के भंडार दबाकर बैठ जाएंगे, जिससे कोरोना के खिलाफ वैश्विक लड़ाई पर असर पड़ेगा।
'वैक्सीन नेशनलिज्म' से बचने की जरूरत- WHO प्रमुख
WHO के प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस ने कहा, "हमें वैक्सीन नेशनलिज्म से बचने की जरूरत है। निश्चित मात्रा में आपूर्ति को सोच-समझकर वितरित करना असल में हर देश का राष्ट्रहित है।" संगठन का कहना है कि पूरी दुनिया को साथ आकर वैक्सीन के वितरण तंत्र को बनाने की जरूरत है ताकि स्वास्थ्यकर्मियों, संक्रमित होने की आशंका वाले और बीमारों समेत जरूरतमंद लोगों तक यह सबसे पहले पहुंच सके। इससे महामारी के संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी।
दुनियाभर में बढ़ते जा रहे कोरोना वायरस के मामले
वैक्सीन के लंबे होते इंतजार के बीच कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, पूरे विश्व में अब तक 2.21 करोड़ से ज्यादा लोग इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से 7.81 लाख की मौत हुई है। सबसे अधिक प्रभावित अमेरिका में लगभग 56.55 लाख संक्रमितों में से 1.75 लाख लोगों की मौत हुई है। भारत में कोरोना के मामले 28 लाख की तरफ बढ़ रहे हैं।