संसद में सरकार का जबाव- लॉकडाउन के दौरान कितने मजदूरों की मौत हुई, हमें नहीं पता
क्या है खबर?
68 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई थी, इसकी केंद्र सरकार के पास कोई जानकारी नहीं है। सोमवार को एक सवाल के जबाव में सरकार ने संसद में ये जानकारी दी।
सरकार ने कहा कि चूंकि इस तरीके के आंकड़े इकट्ठा नहीं किए गए थे, इसलिए मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
कोरोना वायरस महामारी के कारण कितनी नौकरियां गईं, सरकार ने इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी।
सवाल
मानसून सत्र के पहले दिन सरकार से पूछा गया था ये सवाल
मानसून सत्र के पहले दिन सरकार से लिखित सवाल करते हुए पूछा गया था कि कि क्या उसे पता है कि लॉकडाउन के दौरान अपने घर वापस जाते वक्त हजारों प्रवासी मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और क्या उसके पास इसकी कोई राज्यवार सूची मौजूद है।
इसका अलावा सरकार से ये भी पूछा गया था कि क्या उसने ऐसे पीड़ितों के परिजनों को कोई मुआवजा या आर्थिक सहायता प्रदान की थी।
जबाव
मंत्रालय का जबाव- हमारे पास ऐसे कोई आंकड़े नहीं
इस सवाल का लिखित जबाव देेते हुए श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कहा कि ऐसे कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं है और चूंकि ऐसे आकंड़े इकट्ठा नहीं किए गए तो पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा देने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
अपने जबाव में मंत्रालय ने ये भी कहा कि उनसे महामारी के दौरान गईं नौकरियों पर भी नजर नहीं रखी है और उसके पास इससे भी संबंधित कोई डाटा नहीं है।
जबाव
प्रवासी मजदूरों की परेशानियों का आंकलन करने में विफलता पर ये बोली सरकार
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजूदरों के सामने आई परेशानियों का आंकलन करने में सरकार की विफलता के सवाल पर मंत्रालय ने कहा, "एक देश के तौर पर भारत ने केंद्र और राज्य सरकारों, स्थानीय संस्थाओं, स्वयं-सहायता समूहों, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन्स, स्वास्थ्यकर्मियों, सफाईकर्मियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के जरिए कोविड-19 के प्रकोप के कारण आए अभूतपूर्व मानव संकट और देशव्यापी लॉकडाउन का तमिलनाडु समेत पूरे देश में सामना किया।"
जानकारी
मजदूरों को घर पहुंचने के लिए चलाई गईं 4,611 श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें- मंत्रालय
मंत्रालय ने अपने जबाव में ये भी बताया कि प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने 4,611 से अधिक श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाईं। जबाव के अनुसार, इन ट्रेनों के जरिए 63.07 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को अलग-अलग जगहों पर पहुंचाया गया।
प्रवासी मजदूर
लॉकडाउन के दौरान देखते को मिला था आजाद भारत का सबसे बड़ा पलायन
बता दें कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मार्च में लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के बाद लाखों प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़े थे और आजाद भारत के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में पलायन देखने को मिला था।
घऱ वापसी के दौरान कई मजदूरों की गाड़ियों और ट्रेनों के नीचे आने से मौत हो गई थी। वहीं श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों में भी लगभग 110 मजदूरों की मौत हो गई थी।