मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे मनोज सिन्हा को बनाया गया जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल
भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का अगला उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। पिछले उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने कल अचानक से पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद आज सुबह राष्ट्रति रामनाथ कोविंद ने सिन्हा को अगला राज्यपाल नियुक्त किया। समाचार एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि मुर्मू को केंद्र सरकार में एक नया प्रभार सौंपा जा सकता है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल थे मुर्मू
बता दें कि बुधवार को ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले को एक साल हुआ था और इसी दिन मुर्मू ने उपराज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया। वह जम्मू-कश्मीर के पहले उप राज्यपाल थे। उन्हें पिछले साल 31 अक्टूबर को इस पद पर तैनात किया गया था। इसी दिन जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आधिकारिक तौर पर केंद्र शासित प्रदेश बने थे। राधा कृष्ण माथुर को लद्दाख का उपराज्यपाल बनाया गया था।
मोदी के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान गुजरात के मुख्य सचिव थे मुर्मू
1985 बैच के गुजरात कैडर के IAS अधिकारी 60 वर्षीय मुर्मू को प्रधानमंत्री मोदी का करीबी माना जाता है। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब मुर्मू ने उनके प्रधान सचिव के तौर पर काम किया था। जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनने से पहले वह वित्त मंत्रालय में सचिव थे। अभी तक उनके इस्तीफे के कारणों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, हालांकि माना जा रहा है कि उन्हें नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) बनाया जा सकता है।
कौन हैं मनोज सिन्हा?
वहीं नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की बात करें तो वह उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े चेहरे रहे हैं। गाजीपुर से कई बार सांसद रह चुके सिन्हा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेलवे राज्यमंत्री और संचार राज्यमंत्री रह चुके हैं। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें एक बड़ा झटका लगा और उन्हें गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार अफजल अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे थे मनोज सिन्हा
मनोज सिन्हा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कितने करीब हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद जब भाजपा सरकार बनाने जा रही थी, तब मुख्यमंत्री के तौर पर सिन्हा का नाम सबसे आगे थे। उन्हें जिम्मेदारी संभालने के लिए दिल्ली से उत्तर प्रदेश भेज दिया गया था। लेकिन ऐन मौके पर योगी आदित्यनाथ के समर्थकों ने उनका नाम आगे कर दिया और बाजी उनके हाथ लगी।