मुंबई के बाद कोरोना संक्रमण का नया हॉटस्पॉट बना पुणे, लॉकडाउन के बावजूद बढ़े मामले
देश की आर्थिक राजधानी और सबसे अधिक आबादी वाला शहर मुंबई कोरोना वायरस के कारण लगातार चर्चा में रहा है। मुंबई सर्वाधिक संक्रमितों की साथ देश का कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित शहर बना हुआ है। मायानगरी के बाद अब पुणे भी इस खतरनाक वायरस के भयंकर प्रकोप का सामना कर रहा है। मुंबई की एक तिहाई आबादी वाला यह शहर धीरे-धीरे संक्रमण का नया हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। यहां संक्रमण तेजी से अपने पैर पसार रहा है।
26 जुलाई को पुणे में मिले देश में सर्वाधिक मरीज
मुंबई से लगभग 150 किलोमीटर दूर स्थित पुणे में 26 जुलाई को 3,196 नए लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। यह भारत में एक दिन में किसी शहर में मिले नए मरीजों की सबसे बड़ी संख्या थी। 22-26 जुलाई के बीच यहां रोजाना 3,000 से ज्यादा मामले सामने आ रहे थे। 1 जुलाई तक पुणे में कोरोना के 23,317 मामले थे, जो 27 जुलाई तक बढ़कर 78,130 हो गए हैं।
जून के अंत से लगातार बढ़ रहे मामले
पुणे में जून के अंत से लगातार संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। न्यूज18 के मुताबिक, जुलाई में केवल बेंगलुरू ही एक ऐसा शहर था, जहां कोरोना संक्रमितों के बढ़ने की दर पुणे से ज्यादा रही।
टेस्टिंग बढ़ने के साथ-साथ बढती गई पॉजीटिविटी रेट
ज्यादा लोगों में संक्रमण की पुष्टि होने की एक बड़ी वजह पुणे में टेस्टिंग को बढ़ाया जाना है। आमतौर पर टेस्टिंग बढ़ने के साथ पॉजीटिविटी रेट में कमी आती जाती है, लेकिन पुणे के मामले में ऐसा नहीं हुआ। यहां टेस्टिंग बढ़ने के साथ-साथ पॉजीटिविटी रेट भी बढ़ती गई। यह 1 जुलाई को 16.04 प्रतिशत थी, जो 27 जुलाई तक बढ़कर 22.10 प्रतिशत हो गई। यानी 100 सैंपल में से लगभग 22 कोरोना पॉजीटिव पाए जा रहे हैं।
14 दिनों से मिल रहे मुंबई से ज्यादा नए मरीज
इसके अलावा पुणे में पिछले 14 दिनों से मुंबई से ज्यादा नए मरीज पाए जा रहे हैं और यह अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। 14 जुलाई को दोनों शहरों में सामने आए नए मामलों की संख्या में 958 का अंतर था, जो 26 जुलाई तक बढ़ते-बढ़ते 2,095 पहुंच गया था। हालांकि, 27 जुलाई को इसमें थोड़ा सुधार हुआ और दोनों शहरों में नए संक्रमितों की संख्या में 906 का अंतर रहा।
मृत्यु दर के मामले में मुंबई से बेहतर स्थिति में पुणे
दूसरी तरफ पुणे ने संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच मृत्यु दर पर लगाम रखने में कामयाबी पाई है। यहां कोरोना संक्रमितों में मृत्यु दर 2.35 प्रतिशत (कुल 1,838 मौतें) है, जो मुंबई (5.57 प्रतिशत) से आधी है। इसके पीछे बड़ी वजह टेस्टिंग को माना जाता है। ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग होने के कारण समय से उनका इलाज शुरू हो जाता है और सेहत बिगड़ने से पहले ही उनकी निगरानी होने लगती है।
बढ़ रही हर हफ्ते होने वाली मौतों की संख्या
हालांकि, पुणे मुंबई के मुकाबले मृत्यु दर कम रखने में सफल रहा है, लेकिन यह राष्ट्रीय औसत (2.25 प्रतिशत) से ज्यादा है। साथ ही यहां हर सप्ताह कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ रही है। 6 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में यहां 149 मौतें हुई थी, जो बढ़ते हुए 13 जुलाई तक 238, 20 जुलाई तक 274 और 27 जुलाई तक 437 तक पहुंच गई। यह एक चिंता का विषय बना हुआ है।
लॉकडाउन में कम हुई पॉजीटिविटी रेट
संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए प्रशासन ने पुणे में 14-23 जुलाई के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लागू किया था। इस दौरान यहां 26,358 नए मामले सामने आए। हालांकि, लॉकडाउन का फायदा पॉजीटिविटी रेट में आई कमी के तौर पर देखा जा सकता है। लॉकडाउन से पहले 10 दिनों में यहां पॉजीटिविटी रेट 34 प्रतिशत थी, जो लॉकडाउन के कारण कम होकर 22.6 प्रतिशत पर पहुंच गई, लेकिन यह अभी भी चिंताजनकर स्तर पर बनी हुई है।
पुणे में ही मिला था महाराष्ट्र का पहला मामला
भारत में कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में सबसे पहला मामला पुणे में ही सामना आया था। यहां दुबई से लौटा एक दंपत्ति संक्रमित मिला था। अब यह शहर नया हॉटस्पॉट बनकर उभर रहा है।