Page Loader
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सरकार ने छापे थे 8,350 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड
सरकार ने बीते हफ्तों में 8,350 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड छापे हैं

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सरकार ने छापे थे 8,350 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड

लेखन आबिद खान
Feb 28, 2024
02:50 pm

क्या है खबर?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड को रद्द किए जाने से कुछ हफ्ते पहले केंद्र सरकार ने 8,350 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड छापे थे। इंडियन एक्सप्रेस ने ये जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, 29 दिसंबर, 2023 से 15 फरवरी, 2024 तक छापे गए हर बॉन्ड की कीमत एक करोड़ रुपये थी। बता दें कि 15 फरवरी को ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को अंसवैधानिक बताते हुए रोक लगा दी थी।

रकम

अब तक 35,660 करोड़ रुपये के बॉन्ड छपे

2018 में चुनावी बॉन्ड को लागू किए जाने के बाद से अब तक सरकार ने 35,660 करोड़ रुपये के बॉन्ड छापे। इनमें एक करोड़ रुपये मूल्य के 33,000 और 10 लाख रुपये मूल्य के 26,600 बॉन्ड शामिल हैं। इन बॉन्ड को छापने में 13.94 करोड़ रुपये का खर्च आया, जबकि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने बिक्री के लिए कमीशन के रूप में वस्तु एवं सेवा कर (GST) मिलाकर 12.04 करोड़ रुपये का शुल्क लिया।

GST

दानदाताओं और पार्टियों से नहीं लिया गया GST

रिपोर्ट के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड देने वाले दानदाताओं और इन्हें भुनाने वाली राजनीतिक पार्टियों से कोई कमीशन या GST नहीं लिया गया। यह जानकारी कमोडोर लोकेश के बत्रा (सेवानिवृत्त) द्वारा दायर सूचना के अधिकार (RTE) आवेदन के जवाब में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा प्रदान की गई है। योजना लागू किए जाने के बाद से अब तक SBI ने 30 चरणों में चुनावी बॉन्ड की बिक्री की है।

फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी है चुनावी बॉन्ड योजना

15 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड योजना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(A) का उल्लंघन करती है। कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले पैसे का स्त्रोत जानने का अधिकार है। कोर्ट ने 13 मार्च तक दानदाताओं के नाम भी उजागर करने को कहा है।

बॉन्ड

क्या होता है चुनावी बॉन्ड?

चुनावी बॉन्ड एक सादा कागज होता है, जिस पर नोटों की तरह उसकी कीमत छपी होती है। इसे कोई भी व्यक्ति या कंपनी खरीदकर अपनी मनपंसद राजनीतिक पार्टी को चंदे के तौर पर दे सकता है। बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है। केंद्र सरकार ने 2017 के बजट में इसकी घोषणा की थी, जिसे लागू 2018 में किया गया। हर तिमाही में SBI 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करता है।