लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग ने पकड़ा जोर, हजारों लोगों ने निकाला मार्च
क्या है खबर?
लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर हजारों लोगों ने शनिवार को लेह में मार्च निकाला।
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व संयुक्त रूप से एपेक्स बॉडी लेह (ABL) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने किया था।
कड़कड़ाती ठंड के बावजूद इस प्रदर्शन में हजारों की संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए और पूरे लद्दाख में बंद जैसी स्थिति देखने को मिली।
रिपोर्ट
क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांगें?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ABL और KDA के प्रतिनिधियों के साथ दूसरे दौर की वार्ता आयोजित करने की केंद्र सरकार की घोषणा के बावजूद शनिवार को प्रदेश में बंद का आह्वान किया गया।
प्रदर्शनकारियों की 4 प्रमुख मांगें हैं। इनमें पहली मांग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, दूसरी, संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा, तीसरी, लद्दाख के युवाओं के लिए नौकरियों में आरक्षण और चौथी लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग संसदीय क्षेत्र।
ट्विटर पोस्ट
प्रदर्शन में हजारों लोगों ने लिया हिस्सा
Here are the visuals of the today's march in Leh, Ladakh. The last one was from the archives. This is massive. https://t.co/J9Kvob2tFY pic.twitter.com/1AGoow73Zp
— Pirzada Shakir (@pzshakir6) February 3, 2024
वार्ता
केंद्र के साथ 19 फरवरी को होगी दूसरे दौर की वार्ता
केंद्र सरकार ने पहले ही लद्दाख के लोगों की मांगों पर गौर करने के लिए राज्य मंत्री (गृह मामले) नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है।
इस समिति की स्थानीय प्रतिनिधियों से पहले दौर 4 दिसंबर, 2023 को हुई थी और अब दूसरे दौर की वार्ता 19 फरवरी, 2024 को होनी है।
समिति ने लेह और कारगिल के दोनों निकाय के प्रतिनिधियों से अपनी-अपनी मांगें प्रस्तुत करने को कहा है।
मांग
स्थानीय लोग बोले- जनप्रतिनिधि चुनने का मिलना चाहिए अधिकार
लद्दाख के लोगों का कहना है कि वे केंद्र शासित प्रदेश में नौकरशाहों के एक अंतहीन शासन के तहत नहीं रह सकते हैं और केवल पूर्ण राज्य का दर्जा चाहते हैं, जिसमें वे शासन के लिए अपने प्रतिनिधियों को चुन सकें।
उन्होंने कहा कि उन्हें अपने जनप्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार मिलना चाहिए और उन्होंने परमानेंट रेसीडेंट सर्टिफिकेट (PRC) की तर्ज पर लद्दाख रेसीडेंट सर्टिफिटेक (LRC) जारी करने की मांग भी की है।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
लद्दाख पहले जम्मू-कश्मीर का हिस्सा हुआ करता था। 2019 में केंद्र सरकार ने राजनीतिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं के विरोध के बीच जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था।
इसके बाद जम्मू और कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।
हाल में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को सही बताया था, लेकिन जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने को कहा था।