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दिल्ली: AAP विधायक प्रकाश जारवाल आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी करार
कोर्ट ने आत्महत्या मामले में AAP विधायक जारवाल को दोषी पाया है

दिल्ली: AAP विधायक प्रकाश जारवाल आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी करार

लेखन नवीन
Feb 28, 2024
02:27 pm

क्या है खबर?

दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट से आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक प्रकाश जारवाल को बड़ा झटका लगा है। बुधवार को कोर्ट ने उन्हें दक्षिण दिल्ली के रहने वाले डॉ राजेंद्र भाटी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी करार दिया। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 और 120B के तहत जारवाल को दोषी ठहराया है, लेकिन अभी तक सजा का ऐलान नहीं किया गया है।

मामला

क्या है मामला?

ये मामला 18 अप्रैल, 2020 का है। उस वक्त दिल्ली में कोरोना वायरस महामारी की वजह से लॉकडाउन लगा हुआ था। इस दौरान देवली विधानसभा इलाके में रहने वाले डॉ भाटी ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। दिल्ली पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था। इसमें AAP विधायक जारवाल और उनके सहयोगियों का नाम लिखा था। हाल ही में कोर्ट ने इस मामले में जारवाल के खिलाफ आरोप तय किए थे।

सुसाइड नोट

मृतक ने सुसाइड नोट में क्या आरोप लगाए थे?

डॉ भाटी ने अपने सुसाइड नोट में देवली विधायक जारवाल और उनके सहयोगी कपिल नागर को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने लिखा था कि वह इलाके में टैंकर से पानी सप्लाई का काम करते हैं और चुनाव से पहले जारवाल और उनके सहयोगी पानी टैंकर चलवाने के बदले उनसे और कई लोगों से लाखों रुपये ऐंठ चुके हैं। उन्होंने लिखा कि जारवाल उनसे और पैसों की मांग कर रहे थे और वह इससे परेशान हो चुके हैं।

विधायक

विधायक जारवाल बोले- मुझे मामले में फंसाने की कोशिश 

AAP विधायक ने कोर्ट में सुसाइड नोट में लगाए सभी आरोपों को खिरे से खारिज कर दिया था। उनका दावा था कि 2017 में कुछ टीवी चैनलों ने टैंकर माफियाओं के खिलाफ एक स्टिंग किया था, जिसमें भाटी का नाम भी आया था। उन्होंने कहा कि स्टिंग सामने आने के बाद भाटी के टैंकरों को ब्लैक लिस्ट किया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें मामले में फंसाने की कोशिश की गई है और वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।

कौन हैं

कौन हैं प्रकाश जारवाल?

जरवाल की गिनतीं AAP के तेजतर्रार नेताओं में होती है। वह अन्ना आंदोलन के समय से अरविंद केजरीवाल से जुड़े हैं। वह राजनीति में आने से पहले प्राइवेट नौकरी करते थे। वह 2013 में मात्र 25 साल की उम्र में देवली सीट से पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने यहां से जीत दर्ज की। उन पर दिल्ली के मुख्य सचिव से मारपीट का आरोप भी लग चुका है।