राफेल सौदा: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले पूर्व वायुसेना प्रमुख, जानें क्या कुछ कहा
पिछले साल जब तत्कालीन वायुसेना प्रमुख बीरेंद्र सिंह धनोआ ने राफेल सौदे का बचाव किया था तो इसके लिए उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। अब गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट के राफेल सौदे में जांच को लेकर दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने के बाद पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा है कि उन्होंने मेरिट के आधार पर राफेल सौदे का समर्थन किया था। उन्होंने फैसले के बाद पूरे विवाद के खत्म होने की उम्मीद जताई है।
क्यों हुई थीं धनोआ की आलोचना?
दरअसल, दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राफेल सौदे में जांच के लिए दायर याचिकाओं को खारिज किया था, तब वायुसेना प्रमुख रहे धनोआ ने इस फैसले का स्वागत करते हुए सौदे में सरकार का बचाव किया था। तब "राजनीति में उतरने" के लिए उनके इस बयान की आलोचना हुई थी। अब पुनर्विचार याचिकाएं भी खारिज होने के बाद धनोआ ने कहा कि उन्हें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला बरकरार रखा।
पूर्व वायुसेना प्रमुख बोले, मेरिट के आधार पर कर रहे थे सौदे का बचाव
समाचार एजेंसी PTI से बात करते हुए पूर्व वायुसेना प्रमुख धनोआ ने कहा, "सौदे की कीमत पर तब वायुसेना के डिप्टी चीफ और वायु सेना प्रमुख ने बातचीत की थी। हमें पूरा विश्वास था कि सौदा पूरी तरह से सही है। इसके बावजूद जब हमने सौदे का बचाव किया तो राजनीतिक बयान देने के लिए हमारी आलोचना की गई। हालांकि हम मेरिट के आधार पर सौदे का बचाव कर रहे थे।"
"राजनीतिक लाभ के लिए सैन्य बलों के हितों को पीछे रखना सही नहीं"
पूरे विवाद के खत्म होने की उम्मीद जताते हुए धनोआ ने कहा, "राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे मुद्दे उठाना, सैन्य बलों के हितों को पीछे रखना, मेरे हिसाब से ये सही नहीं है... मुझे उम्मीद है कि अब वायुसेना को उसका काम करने दिया जाएगा।"
राफेल को बताया शानदार लड़ाकू विमान
धनोआ ने अपने बयान में राफेल विमानों की तारीफ करते हुए उन्हें शानदार लड़ाकू विमान बताया। उन्होंने कहा, "हमें समझना चाहिए कि लड़ाकू विमान भारत के लिए बेहद अहम हैं। लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन कम हो रहे हैं और विश्वसनीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए हम उन्हें 30 स्क्वाड्रन से कम नहीं होने दे सकते। राफेल की दो स्क्वाड्रन, रूस में निर्मित सुखोई-30 MKI की एक और स्वदेशी तेजस की दो स्क्वाड्रन जरूरी शक्ति प्रदान करेंगी।"
क्या था राफेल सौदे से जुड़ा पूरा विवाद?
मोदी सरकार ने सितंबर 2016 को फ्रांस सरकार के साथ 59,000 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया था। विपक्ष ने इस सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे तौर पर इस भ्रष्टाचार में शामिल होने और अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी कंपनी HAL को सौदे से हटाने का आरोप लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं थीं जांच कराने के लिए याचिकाएं
सौदे की जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं थीं, जिन्हें कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में खारिज कर दिया था। कुछ नए सबूत सामने आने के बाद फिर से पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं जिन्हें आज खारिज कर दिया गया।