सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल: इस गांव में हिंदू कर रहे हैं सदियों पुरानी मस्जिद की देखरेख
क्या है खबर?
बढ़ती धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिक घटनाओं के बीच बिहार के नालंदा जिले का एक गांव राहत देने वाली तस्वीर पेश कर रहा है।
यह गांव बता रहा है कि कैसे दूसरे धर्म से नफरत किए बिना अपना धर्म जिया जा सकता है।
यहां के ग्रामीण सांप्रदायिक सौहार्द्र का ऐसा उदाहरण पेश कर रहे हैं, जिसकी आज पूरी दुनिया को जरूरत है।
आइये, जानते हैं कि नालंदा का माढ़ी गांव ऐसा क्या कर रहा है, जिसकी इतनी चर्चा है।
उदाहरण
बिना मुसलमानों के गांव में रोजाना होती है अजान
माढी गांव में एक भी मुसलमान नहीं है, लेकिन यहां स्थित 200 साल पुरानी मस्जिद में हर रोज नमाज होती है और वो भी दिन में पांच बार।
गांव के रहने वाले हिंदू नमाज पढ़ते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, वो कई सालों से इस मस्जिद की देखरेख भी कर रहे हैं।
ग्रामीण हंस कुमार ने बताया, "हमें अजान नहीं आती, लेकिन एक पेन ड्राइव में अजान की रिकॉर्डिंग है। यह हर रोज चलाई जाती है।"
बयान
हर त्योहार के मौके पर भी जाते हैं लोग
ग्रामीणों ने बताया कि कुछ साल पहले गांव में मुसलमान रहते थे, लेकिन सब काम की तलाश में बाहर चले गए।
मस्जिद की देखरेख करने वाले युवक गौतम ने बताया, "गांव में इस मस्जिद की देखरेख करने वाला कोई नहीं था। इसलिए हिंदू आगे आये और इसकी देखरेख हो रही है।"
उन्होंने बताया कि किसी को नहीं पता कि यह मस्जिद कब और किसने बनवाई, लेकिन हर त्योहार के मौके पर हिंदू लोग मस्जिद में आते हैं।
जानकारी
पुजारी ने कही यह बात
गांव के पुजारी जानकी पंडित ने बताया, "मस्जिद की हर रोज सफाई होती है और सुबह शाम नमाज भी पढ़ी जाती है। इसके अलावा जो लोग किसी समस्या में उलझे होते हैं वो भी यहां नमाज पढ़ने आते हैं।"