अगले बजट में इनकम टैक्स की दरों में कटौती कर सकती है केंद्र सरकार
क्या है खबर?
अपने अगले बजट में केंद्र सरकार व्यक्तिगत इनकम टैक्स की दरों में कटौती कर सकती है।
इसके अलावा इक्विटी निवेश से होने वाले दीर्घकालिक पूंजी लाभ (लॉन्ग-टर्म कैपिटल गैन) पर लगने वाले टैक्स की दरों को भी कम किया जा सकता है।
आर्थिक मंदी के इस दौर में लोगों की जेब में ज्यादा पैसा छोड़ने के लिए सरकार के कटौती कर सकती है ताकि लोग इस पैसे इस पैसे का उपयोग कर सकें और अर्थव्यवस्था को गति मिल सके।
बातचीत
रॉयटर्स के साथ बातचीत में सरकारी अधिकारियों ने दी जानकारी
चार सरकारी अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के साथ बातचीत में ये जानकारी दी हैं।
एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, "हम इनकम टैक्स दरों में बदलाव पर विचार विमर्श कर रहे हैं ताकि लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा रहे।"
दीर्घकालिक पूंजी लाभ पर लगने वाले टैक्स पर एक दूसरे अधिकारी ने कहा, "इस पर बहुत सुझाव है जिसमें इसे समाप्त किया जाना भी शामिल है। इस पर अंतिम फैसला होना अभी बाकी है।"
आयात शुल्क
कुछ सामानों पर बढ़ाया जा सकता है आयात शुल्क
इनके अलावा सरकार संकट में चल रहीं वित्तीय सेवाओं को ज्यादा मदद देने पर भी विचार कर रही है।
वहीं निजी निवेश और घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए आयात शुल्क बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है। सरकार कुछ सामानों पर आयात शुल्क बढ़ा सकती है।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले साल एक फरवरी को 2020-2021 का बजट संसद में पेश करेंगे। ये मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्णकालिक बजट होगा।
आर्थिक मंदी
आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा भारत
बता दें कि भारत इस समय आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। जुलाई से सितंबर तक की पिछली तिमाही में देश की विकास दर मात्र 4.5 प्रतिशत रही थी।
इस मंदी का एक अहम कारण लोगों की तरफ से मांग कह होना माना जा रहा है। लोग कम सामान खरीद रहे हैं।
इसी कारण कई विशेषज्ञ पिछले काफी समय से इनकम टैक्स की दरों में कटौती करके की सिफारिश कर रहे थे ताकि लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा रहे।
अन्य फैसला
मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए टैक्स दरों में की थी कटौती
इससे पहले मोदी सरकार घरेलू और नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए टैक्स दरों में कटौती कर चुकी है।
इसके तहत अगर घरेलू कंपनियों को टैक्स में छूट का दावा नहीं करतीं तो उन्हें 22 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा। पहले ये टैक्स दर 30 प्रतिशत थी।
वहीं नई घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के टैक्स की दर को भी 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया था।
इन दोनों कदमों का कारोबारी जगत ने स्वागत किया था।