'लव जिहाद' का माध्यम बना गरबा, बिना पहचान-पत्र पंडालों में प्रवेश नहीं- मध्य प्रदेश की मंत्री
मध्य प्रदेश की संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि गरबा और डांडिया 'लव जिहाद' के नए माध्यम बन गए हैं। गरबा आयोजकों को सतर्क रहने की सलाह देते हुए ठाकुर ने कहा कि नवरात्रि और अन्य धार्मिक आयोजनों में लगने वाले गरबा पंडाल लव जिहाद का माध्यम बन गए हैं। इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा कि बिना पहचान पत्र दिखाए इस बार किसी को भी गरबा पंडाल में जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
यहां पढ़िये मंत्रीजी का पूरा बयान
ग्वालियर में पत्रकारों से बात करते हुए ठाकुर ने कहा कि गरबे में जो भी आएगा, वो अपना पहचान पत्र साथ लाएगा। बगैर पहचान के कोई गरबों में प्रवेश नहीं कर सकता। उन्होंने आगे कहा, "यह हमारी सबको सलाह और चेतावनी है। हमारे सांस्कृतिक संगठन और लोग इस बात को जानते हैं। चूंकि गरबा अब लव जिहाद का माध्यम बन गया है तो ऐसा करना अनिवार्य हो गया है कि प्रवेश से पहले लोगों के पहचान पत्र जांचे जाएं।"
पहले भी ऐसा बयान दे चुकी हैं ठाकुर
यह पहली बार नहीं है, जब ठाकुर गरबे को लेकर चर्चा में आई हैं। 2014 में उन्होंने गरबा आयोजकों को चेतावनी दी थी कि गैर-हिंदुओं को पंडालों में प्रवेश न दिया जाए और मतदाता पहचान पत्र के आधार पर उनकी स्क्रीनिंग की जानी चाहिए।
भाजपा ने किया बचाव, कांग्रेस ने साधा निशाना
ठाकुर के बयान का बचाव करते हुए मध्य प्रदेश भाजपा ने पहचान जांचने को एक ऐहतियाती कदम बताया है। पार्टी ने कहा कि यह सिर्फ सुझाव है कि लोगों को पहचान पत्र साथ रखने चाहिए क्योंकि कांग्रेस और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) तनाव पैदा करने की कोशिश में हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस ने मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा चुनावी फायदे के लिए जानबूझकर राज्य में नफरत और डर का माहौल बना रही है।
यह बयान हिंदू धर्म का अपमान- मिश्रा
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया केके मिश्रा ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए जानबूझकर इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं। मंत्री द्वारा लगाए गए लव जिहाद के आरोप हिंदुओं और हिंदू धर्म का अपमान है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल दक्षिणपंथी संगठन अंतर-धार्मिक शादी के लिए करते हैं। इसमें उनका आरोप होता है कि मुस्लिम पुरुष से शादी कराने के लिए महिला को बहला-फुसलाकर या जबरन धर्म-परिवर्तन किया जाता है। हालांकि, केंद्र सरकार ऐसा किसी शब्दावली को नहीं मानती। सरकार ने संसद को बताया था कि मौजूदा कानूनों में 'लव जिहाद' को परिभाषित नहीं किया गया है। और किसी केंद्रीय एजेंसी के सामने ऐसा कोई मामला नहीं आया है।