सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, जम्मू-कश्मीर में कब जारी रहेंगी पाबंदियां?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को केंद्र सरकार से कहा कि वो स्पष्ट करें कि जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियां कब तक जारी रहेंगी।
इस दौरान कोर्ट से कहा कि राष्ट्रीय हित में पाबंदियां लगाई जा सकती हैं लेकिन इनकी रोजाना समीक्षा किया जाना जरूरी है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 पर फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर में कई तरह की पाबंदियां लगाईं थीं। इनमें इंटरनेट सेवाओं पर रोक भी शामिल है।
सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दो महीने से जारी पाबंदियां, दूसरे रास्ते खोजे सरकार
जम्मू-कश्मीर से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट बेंच ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से तीखे सवाल किए।
बेंच ने सरकार से पूछा, "आप कितने दिन तक पाबंदियां जारी रखना चाहते हैं? पहले ही दो महीने हो चुके हैं। आपको इस पर स्पष्ट जवाब देना होगा।"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को दूसरे रास्ते खोजने ही होंगे।
पाबंदियों की समीक्षा
कोर्ट ने कहा, पाबंदियों की रोजाना समीक्षा जरूरी
बेंच में शामिल जस्टिस सुभाष रेड्डी ने केंद्र सरकार को पाबंदियों की रोजाना समीक्षा करने को भी कहा।
उन्होंने कहा, "आप राष्ट्रीय हित में पाबंदियां लगा सकते हैं लेकिन आपको रोजाना इसकी समीक्षा करनी चाहिए।"
इसके जवाब में जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 99 प्रतिशत पाबंदियां हटा दी गई हैं और इनकी रोजाना समीक्षा होती है।
मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी।
अनुच्छेद 370
5 अगस्त को लिया गया था अनुच्छेद 370 पर ऐतिहासिक फैसला
बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को राष्ट्रपति के आदेश के जरिए अनुच्छेद 370 में बदलाव करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था।
इसके अलावा राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, में बांटने का फैसला भी लिया गया था, जिससे संसद ने मंजूरी दी।
राज्य के बंटवारे को ये फैसला 31 अक्टूबर को प्रभावी होगा और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे।
पाबंदी
फैसले से एक रात पहले लगाई गईं पाबंदियां
इस फैसले से एक रात पहले जम्मू-कश्मीर में कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं, जिनमें यातायात, केबल टीवी, इंटरनेट और फोन सेवाओं पर रोक आदि भी शामिल थे।
धीरे-धीरे करके इन पाबंदियों को हटाया गया और लगभग सारी पाबंदियां हटाई जा चुकी हैं।
15 अक्टूबर को कश्मीर में पोस्टपैड मोबाइल सेवाओं को भी बहाल कर दिया गया था।
हालांकि इटरनेट और प्रीपैड मोबाइल सेवाओं पर रोक अभी भी जारी है।
जानकारी
कश्मीर के नेता अभी भी हिरासत में
फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर के लगभग 400 नेताओं को भी हिरासत में लिया गया था। इनमें से जम्मू के सभी नेताओं को छोड़ दिया गया है। वहीं उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कश्मीरी नेता अभी भी हिरासत में हैं।