विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष से की मुलाकात, इन मुद्दों पर हुई चर्चा
क्या है खबर?
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग दौरे पर हैं।
उन्होंने वहां चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की है। जयशंकर ने वांग यी से मुलाकात की कुछ तस्वीरें भी साझा की हैं।
दोनों नेताओं के बीच ये मुलाकात भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए जारी कूटनीतिक प्रयासों के बीच हो रही है।
बयान
क्या बोले विदेश मंत्री?
विदेश मंत्री ने कहा, "मुझे खुशी है कि हम आज जोहान्सबर्ग में G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान मिल पाए। ऐसे मौकों ने हमारे संबंधों को तब भी बातचीत का मौका दिया, जब वे कठिन दौर से गुजर रहे थे। हमारे NSA और विदेश सचिव ने चीन का दौरा किया है। हमारे संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई है। इनमें सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के प्रबंधन के साथ-साथ हमारे संबंधों के अन्य आयाम भी शामिल हैं।"
मुद्दे
किन-किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के मुलाकात को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "दोनों मंत्रियों ने नवंबर में अपनी आखिरी मुलाकात के बाद द्विपक्षीय संबंधों में हुए घटनाक्रम की समीक्षा की। जिसमें विशेष रूप से सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाने को लेकर चर्चा की। दोनों नेताओं के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा, सीधी विमान सेवा की बहाली और यात्रा सुविधा पर चर्चा की गई। G20 और शंघाई सहयोग संगठन को लेकर भी चर्चा हुई।"
विदेश मंत्री
विदेश मंत्री बोले- वैश्विक एजेंडा कुछ देशों तक सीमित नहीं रह सकता
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में वैश्विक शांति, सहयोग और कूटनीति पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक एजेंडा कुछ देशों के हितों तक सीमित नहीं किया जा सकता और वैश्विक कमियों को दूर करने के लिए और बहुपक्षवाद पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, "हम गाजा पट्टी में युद्धविराम और बंधकों की रिहाई का स्वागत करते हैं।"
उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने अरब सागर और अदन की खाड़ी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
G-20
न्यूजबाइट्स प्लस
G-20 एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसके 20 सदस्य हैं। इसकी शुरुआत 1999 के एशियाई वित्तीय संकट के बाद हुई थी और इसे वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों के बीच वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों की चर्चा के लिए एक मंच के तौर पर शुरू किया गया था।
इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका, अफ्रीकी संघ और यूरोपीय संघ शामिल हैं।