वित्त मंत्री सीतारमण के खिलाफ दर्ज होगी FIR, चुनावी बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली का आरोप
बेंगलुरु की विशेष जनप्रतिनिधि अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ चुनावी बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली के मामले में FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। जनाधिकार संघर्ष परिषद (JSP) के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर ने विशेष जनप्रतिनिधि अदालत में सीतारमण और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि वित्त मंत्री सहित अन्य चुनावी बॉन्ड का उपयोग करके धमकी देकर जबरन वसूली में शामिल थे।
शिकायत में सीतारमण के अलावा कई अन्य भाजपा नेताओं के नाम भी शामिल
अय्यर द्वारा दर्ज कराई गई गई शिकायत में भाजपा के कई बड़े नेता भी शामिल हैं, जिनमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कर्नाटक के पूर्व अध्यक्ष नलिन कुमार कटिल और बीवाई विजयेंद्र का भी नाम शामिल हैं। अदालत ने बेंगलुरु के तिलक नगर पुलिस थाना प्रभारी को चुनावी बांड के जरिए जबरन वसूली के मामले में FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने अब इस मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने की सीतारमण के इस्तीफे की मांग
FIR के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सीतारमण के इस्तीफे की मांग की है। सिद्धारमैया ने कहा, "निर्मला सीतारमण के खिलाफ भी जनप्रतिनिधि अदालत में FIR दर्ज है। चुनावी बॉन्ड से उनका (वित्त मंत्री का) क्या संबंध है? उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है। क्या उन्हें भी अपना इस्तीफा नहीं दे देना चाहिए?" बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द कर दिया था।
सिद्धारमैया ने 3 महीने के भीतर रिपोर्ट मांगी
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मामले में रूचि दिखाते हुए कार्रवाई कराने की योजना बनाई है। उन्होंने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A का हवाला देते हुए 3 महीने के भीतर मामले पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। यह धारा लोक सेवकों को जांच से अतिरिक्त संरक्षण प्रदान करती है। उन्होंने कहा, "अब, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के अनुसार ही मामले की जांच पूरी होनी चाहिए और 3 महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।"
क्या है चुनावी बॉन्ड?
केंद्र सरकार ने 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना शुरू की। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में नकद दान को खत्म करना था, ताकि राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बनी रहे। इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के चुनावी बॉन्ड के जरिए लोग राजनीतिक दलों को चंदा दे सकते हैं, लेकिन इसका खुलासा नहीं किया जाता था। पिछले साल विपक्षी दलों ने इस योजना को बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।