कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को हुआ एक साल, जगह-जगह हो रहे प्रदर्शन
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को आज एक साल पूरा हो गया है। किसान इस मौके पर दिल्ली की सीमाओं और देश के अन्य हिस्सों में विभिन्न प्रदर्शनों का आयोजन कर रहे हैं। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए हजारों किसान दिल्ली आए हैं। किसान कोलकाता में ट्रैक्टर रैली भी निकालेंगे, वहीं कर्नाटक में हाईवे को रोका जाएगा।
बिहार, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में जिला कार्यालयों पर किया जाएगा प्रदर्शन
आंदोलन को एक साल पूरा होने के मौके पर प्रदर्शनकारी किसान बिहार, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में जिला कार्यालयों के सामने प्रदर्शन भी करेंगे। इन तीनों राज्यों की ट्रेड यूनियनों ने किसानों के साथ प्रदर्शन में शामिल होने का ऐलान किया है।
एक साल के आंदोलन के दौरान क्या-क्या हुआ?
अपने आंदोलन के दौरान किसानों को काफी-कुछ सहना पड़ा। उन्हें रोकने के लिए सरकार ने सड़कों पर कीलें और कंक्रीट के तार लगा दिए, लेकिन ये भी उनकी दृढ़ता को कमजोर नहीं कर पाए। आंदोलन का सबसे कमजोर क्षण 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हिंसा के बाद आया और ऐसा लगा कि आंदोलन समाप्त हो जाएगा। लेकिन राकेश टिकैत के आंसुओं ने इसे फिर खड़ा कर दिया और फिर आंदोलन ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
किसानों के संघर्ष की हुई जीत, कानून वापस लेने जा रही है सरकार
अंत में किसानों के एक साल के इस संघर्ष की जीत हुई है और उन्होंने सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने पर मजबूर कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते ही कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। अपने ऐलान में उन्होंने देश से माफी भी मांगी थी और कहा था कि वे किसानों को समझाने में नाकाम रहे। उन्होंने संसद के अगले सत्र में कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी।
कृषि कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयक को मंजूरी दे चुकी है कैबिनेट
हालांकि इस सबके बावजूद किसान अभी अपना आंदोलन समाप्त नहीं कर रहे हैं और इसके लिए कानूनों के संसद से रद्द होने का इंतजार करेंगे। इसके अलावा किसान संगठनों का कहना है कि कानूनों को रद्द करवाना उनकी एक मांग थी और अभी MSP पर कानून समेत कई मांगें लंबित हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को खुला पत्र भी लिखा है। MSP की इसी मांग को देखते हुए सरकार इस पर भी विचार कर रही है।
अभी आंदोलन वापस नहीं लेंगे किसान, MSP पर अड़े
किसानों ने कानूनों की वापसी तक अपने सभी प्रस्तावित कार्यक्रमों को जारी रखने का फैसला भी लिया है। इस कार्यक्रम के तहत 22 नवंबर को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में महापंचायत आयोजित की गई थी, वहीं आज आंदोलन को एक साल होने के मौके पर बड़ी संख्या में देशभर में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद 29 नवंबर को संसद मार्च भी निकली जाएगी।
जारी रहेंगे किसानों के सभी प्रस्तावित कार्यक्रम
किसानों ने कानूनों की वापसी तक अपने सभी प्रस्तावित कार्यक्रमों को जारी रखने का फैसला भी लिया है। इस कार्यक्रम के तहत 22 नवंबर को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में महापंचायत आयोजित की गई थी, वहीं आज आंदोलन को एक साल होने के मौके पर बड़ी संख्या में देशभर में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद 29 नवंबर को संसद मार्च भी निकली जाएगी।