कोयले की कमी का सामना कर रहे पावर प्लांट्स, इसकी वजह क्या है?
दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में कोयले की कमी के कारण ब्लैकआउट का खतरा मंडरा रहा है। इसके पीछे भारी बारिश और विदेशों से आने वाले कोयले की आसमान छूती कीमतों समेत कई कारण जिम्मेदार हैं। भारत में इस साल कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, लेकिन भारी बारिश के कारण यह पावर प्लांट्स तक नहीं पहुंच पाया। इसके चलते पंजाब, दिल्ली के साथ-साथ राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु में बिजली संकट का खतरा बना हुआ है।
कोयले पर निर्भर हैं 135 पावर प्लांट्स
कोयले की कमी को देखते हुए कई बिजली कंपनियों ने ब्लैकआउट की चेतावनी दी है, वहीं सरकार ने कहा है कि देश में पर्याप्त मात्रा में कोयला मौजूद है और पावर प्लांट्स के स्टॉक भरे जा रहे हैं। बता दें, देश में कोयले से संचालित होने वाले पावर प्लांट्स की संख्या 135 है और यहां देश की जरूरत में से 70 फीसदी बिजली का उत्पादन होता है। ये प्लांट्स अपना करीब तीन चौथाई उत्पादन घरेलू कोयले से करते हैं।
कोयले की कमी का दूसरा कारण क्या है?
पावर प्लांट्स के पास कोयले की कमी का दूसरा इसके आयात में आई गिरावट है। दरअसल, कोरोना महामारी के चलते लागू पाबंदियां हटने के बाद पूरी दुनिया में कोयले की मांग बढ़ी है, जिसके चलते इसकी कीमतें कई गुना बढ़ गई है। महंगी कीमत के कारण कंपनियां कोयला नहीं खरीद रही हैं और आयात कम हो गया है। देश में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार है, इसके बावजूद भारत दूसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक है।
आयात किए कोयले से चलने वाले प्लांट्स बंद
टाटा पावर ने मुंद्रा स्थित प्लांट से गुजरात से 1,850 MW, पंजाब से 475 MW, राजस्थान से 380 MW, महाराष्ट्र से 760 MW और हरियाणा से 380 MW बिजली आपूर्ति का अनुबंध किया है। यह प्लांट मुख्यत: आयात किए कोयले से चलता है, लेकिन मौजूदा स्थिति में यहां बिजली उत्पादन बंद है। मुंद्रा स्थित अडाणी पावर के प्लांट का भी यही हाल है। इसके चलते कई राज्यों में बिजली की कमी होने लगी है।
बिजली की मांग में हुआ इजाफा
कोरोना की दूसरी लहर नियंत्रण में आने के बाद से देश की अर्थव्यवस्था में तेजी देखी जा रही है। इसी रफ्तार से बिजली की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है। भारत में अगस्त, 2019 में भारत में बिजली की खपत 10 लाख 600 करोड़ यूनिट्स थी, जो इस साल अगस्त में बढ़कर 12 लाख 400 करोड़ यूनिट्स पर पहुंच गई है। यानी पिछले दो महीनों में ही भारत में बिजली की खपत में 17 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।
बारिश के कारण खदानों में भरा पानी
पिछले दो-तीन महीनों में हुई भारी बारिश के कारण खदानों में पानी भर गया है और पूरी क्षमता के साथ काम नहीं हो पा रहा है। साथ ही बारिश के कारण खदानों से पावर प्लांट तक कोयला पहुंचाने का काम भी प्रभावित हुआ है। बिजली उत्पादन के लिए कोयले की कमी के पीछे विशेषज्ञ थर्मल पावर प्लांट्स को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि अगस्त से कोयले के स्टॉक में गिरावट आई और प्लांट्स ने ऐसा होने दिया।
राज्यों ने केंद्र को लिखा पत्र
कोयले की कमी के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर जल्द से जल्द मामले में दखल देने की मांग की है। केजरीवाल ने पत्र में लिखा कि कोयले की कमी अगस्त से लगातार तीसरे महीने जारी है और इससे दिल्ली को बिजली की आपूर्ति करने वाले उत्पादन संयंत्रों पर बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है। पंजाब और राजस्थान समेत दूसरे राज्यों ने भी ऐसी ही चिंताएं व्यक्त करते हुए समाधान निकालने की मांग की है।