उत्तर प्रदेश चुनावों को देखते हुए कृषि कानूनों को वापस ले सकती है सरकार- भाजपा नेता
केंद्र सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों को लेकर किसान पिछले आठ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई दौर की वार्ता के बाद भी इसका कोई हल नहीं निकला है और केंद्र सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि वह कानूनों को वापस नहीं लेगी। इसी बीच उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यसमिति के सदस्य राम इकबाल सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार विधानसभा चुनावों को देखते हुए कानूनों को वापस ले सकती है।
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
किसान संगठनों की सरकार के साथ विफल रही सभी 11 वार्ताएं
इस मामले में सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ताएं भी हुई है, लेकिन किसानों के कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहने के कारण कोई सामाधान नहीं निकला। खास बात यह रही कि सरकार ने किसानों को कानूनों को 18 महीने तक लागू नहीं करने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसानों ने 22 जनवरी को आखिरी वार्ता में कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग करते हुए उसे खारिज कर दिया।
जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं किसान
किसान वर्तमान चल रहे संसद के मानसून सत्र में भी जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रतिदिन 200 किसान जंतर-मंतर पर पहुंचते हैं और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, इसका सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा है।
कृषि कानूनों को वापस ले सकती है सरकार- सिंह
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यसमिति के सदस्य राम इकबाल सिंह ने किसानों के विरोध का समर्थन करते हुए कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए कृषि कानूनों को वापस ले सकती है। उन्होंने आगे कहा कि किसानों की मांगे पूरी तरह से जायज है और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तथा किसानों के गुस्से को देखते हुए सरकार इन कानूनों को वापस ले सकती है।
भाजपा नेताओं का घेराव कर सकते हैं किसान- सिंह
सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध के कारण भाजपा नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में भविष्य में किसान चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं का घेराव भी कर सकते हैं। उन्होंने पेगासस जासूसी मामले पर संसद में चल रहे गतिरोध पर कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में विपक्ष की मांग पर भी विचार किया जाना चाहिए। यदि विपक्ष जांच चाहता है तो सरकार को इसके साथ आगे बढ़ना चाहिए ।
राज्य सरकार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर से नहीं लिया सबक- सिंह
सिंह ने कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर पर भी उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से तीसरी लहर को लेकर की जा रही तैयारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर से कोई सबक नहीं लिया है और महामारी के बचाव के लिए अभी तक कोई भी प्रभावी व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में यदि तीसरी लहर आती है तो इसके गंभीर परिणाम आ सकते हैं।