सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दिए ऑनलाइन पढ़ाई में गरीब बच्चों की मदद के आदेश
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के दौर में चल रही ऑनलाइन पढ़ाई को देखते हुए दिल्ली सरकार को आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EWS) और गरीब बच्चों की मदद की योजना बनाने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और दिल्ली को मिलकर काम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संसाधनों की कमी के कारण कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। ऐसे में केंद्र और दिल्ली सरकार को इसकी योजना बनानी चाहिए।
प्रकरण
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिए थे गरीब बच्चों को सुविधा मुहैया कराने के निर्देश
बता दें कि कोरोना महामारी में चल रही ऑनलाइन कक्षाओं में लैपटॉप, टैबलेट या मोबाइल फोन और इंटरनेट की आवश्यकता होती है। ऐसे में गरीब तबके के लोग इस खर्च को वहन नहीं कर पा रहे हैं।
इस संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी।
जिस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को ये सभी सुविधा मुहैया कराने के निर्देश दिए थे।
जानकारी
दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती
हाई कोर्ट की ओर से गरीब बच्चों के लैपटॉप, टैबलेट या मोबाइल फोन और इंटरनेट खर्च उठाने के आदेश दिए जाने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी थी। सरकार ने दलील दी थी कि ऐसा करना सरकार पर अतिरिक्त भार डालेगा।
सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को जारी किया नोटिस
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने शुक्रवार को केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि गरीब बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधा कैसे प्राप्त होगी?, उसके लिए पैसा कहां से आयेगा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की हालत तो फिर भी बेहतर हो सकती है, लेकिन ग्रामीण इलाकों के बारे में सोचने की जरूरत है। वहां बड़ी तादाद में बच्चे स्कूल छोड़ रहे है। यह बहुत गंभीर है और राज्य सरकार को इस पर सोचना चाहिए।
समर्थन
सुप्रीम कोर्ट ने किया दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले का समर्थन
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि हाई कोर्ट का फैसला बहुत सोच समझ कर लिखा हुआ लग रहा है। यदि सरकार गरीब बच्चों की मदद नही करेगी तो शिक्षा का अधिकार कानून के कोई मायने नहीं रहेंगे।
ऐसे में दिल्ली सरकार इस पर एक विस्तृत प्लान कोर्ट के सामने पेश करे। केंद्र सरकार भी इसमें राज्य सरकार के साथ मिल कर काम करे ताकि समस्या का हल निकल सके।
दायरा
सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाया याचिका का दायरा
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "हमने देखा है की हमारे ड्राइवर के बच्चे किस तरह से एक फोन से पढ़ाई कर रहे थे। किसी के दो बच्चे हैं तो उनके पास इतना पैसा नही की वो दो लैपटॉप या स्मार्ट फोन खरीदें और फिर इंटरनेट का खर्च उठा सके।"
ऐसे में कोर्ट ने याचिका का दायरा निजी स्कूलों से बढ़ा कर दिल्ली के सभी स्कूलों के लिए कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सभी गरीब बच्चों के बारे में सोचना होगा।