किसान आंदोलन का 28वां दिन, सरकार से बातचीत के न्योते पर आज निर्णय संभव
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 28वां दिन है। आज ही के दिन किसान दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर किसान अपने आंदोलन को तेज करते हुए एक समय का खाना नहीं खाएंगे। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कानूनों के खिलाफ यह उनका सांकेतिक विरोध होगा। वहीं किसान संगठन बुधवार को सरकार के साथ आगे की बातचीत करने या न करने का फैसला ले सकते हैं।
क्या है किसानों के विरोध की वजह?
केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
32 किसान संगठनों की होगी बैठक
रविवार को केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को बातचीत का न्योता मिला था। इसमें सरकार ने किसानों से तारीख तय कर बैठक के लिए आने को कहा था। अब तक किसानों के बीच इस न्योता के जवाब पर सहमति नहीं बन पाई है। बुधवार को एक बार फिर 32 किसान संगठन बैठक कर सरकार से बात करने या न करने का फैसला करेंगे। मंगलवार को भी ऐसी ही बैठक हुई थी, लेकिन उसमें एक राय नही बन पाई थी।
किसानों का मिला ट्रेड यूनियनों का साथ
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर किसान नेताओं ने लोगों से एक समय का भोजन ग्रहण न करने की अपील की थी। किसानों की इस अपील को ट्रेड यूनियनों का साथ मिला है। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) और इससे संबंधित यूनियनों ने कहा कि है कि वो किसानों के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए एक समय का भोजन ग्रहण नहीं करेंगे।
उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन करेगी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी भी किसानों के समर्थन में उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन करेगी। पार्टी की तरफ से जारी बयान के अनुसार कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा सांसदों और विधायकों के कार्यालयों और आवासों का घेराव कर सरकार से कानून वापस लेने की मांग करेंगे। वहीं गुरुवार को राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल दो करोड़ हस्ताक्षरों के साथ राष्ट्रपति कोविंद को एक ज्ञापन सौंपेंगे। इसमें राष्ट्रपति से कानून रद्द करने की मांग की जाएगी।
केरल राज्यपाल ने नहीं दी विशेष सत्र की अनुमति
दूसरी तरफ केरल सरकार ने केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों पर चर्चा करने और इनके खिलाफ प्रस्ताव लाने के विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था, लेकिन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इसकी अनुमति नहीं दी है। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इसे दुखद बताया है।
किसानों ने बोरिस जॉनसन से भारत न आने की अपील की
केंद्र सरकार ने यूनाइटेड किंगडम (UK) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। किसान नेताओं ने उन्हें भारत आने से रोकने के लिए ब्रिटिश सांसदों को पत्र लिखने की योजना बनाई है। किसान किसान नेता कुलवंत संधू ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे संगठन ब्रिटेन के सांसदों पत्र लिख रहे हैं कि जब तक केंद्र सरकार किसानों की बात नहीं मानती, तब तक बोरिस जॉनसन को भारत आने से रोकें।