अब केरल में भी CBI को जांच करने से पहले लेनी होगी राज्य सरकार की अनुमति
क्या है खबर?
केरल की पिनराई विजयन सरकार ने बुधवार को बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को दी गई अपनी 'सामान्य सहमति' को वापस ले लिया है।
ऐसे में अब CBI को केरल में किसी भी मामले की जांच के लिए पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही केरल ऐसा करने वाला पांचवां गैर भाजपा शासित राज्य बन गया है।
उससे पहले पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र सरकार ने भी सामान्य सहमति वापस ले ली थी।
निर्णय
केरल सरकार ने कैबिनेट की बैठक में लिया निर्णय
केरल सरकार ने बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में CBI से सामान्य सहमति वापस लेने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास कर दिया।
इसका मतलब यह हुआ कि अब राज्य में किसी भी मामले की जांच के लिए CBI को पहले राज्य की लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) सरकार से अनुमति लेनी होगी।
हालांकि, इस आदेश का उन मामलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जिनकी जांच CBI पहले कर चुका है या फिर जिनकी जांच जारी है।
आरोप
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय जांच एजेंसियों पर लगाया था आरोप
बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत में मुख्यमंत्री विजयन ने केंद्रीय जांच एजेंसियों को भड़ास निकालते हुए आरोप लगाया था कि वो एक निर्वाचित राज्य सरकार को दुर्भावनावश अस्थिर करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन कर रही हैं।
इससे पहले भी सत्तारूढ LDF, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPIM) और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPI) के प्रमुख घटनों ने राज्य सरकार से राज्य में चल रही CBI जांच को रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की थी।
विरोध
विपक्ष ने किया था सरकार के सुझावों का विरोध
बीते दिनों केरल में विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने CBI को दी गई सामान्य सहमति वापस लेने के संबंध में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से दिए गए सुझाव की आलोचना की थी।
विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया था कि वह वाम सरकार के बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को छिपाना चाहती है।
केरल के कानून मंत्री एके बालन ने कांग्रेस शासित राज्यों सहित कई अन्य राज्यों के इस तरह का कदम उठाने का हवाला दिया था।
जानकारी
राज्य सरकार की संस्था के खिलाफ CBI ने दर्ज किया था मामला
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब CBI ने राज्य सरकार की संस्था लाइफ मिशन द्वारा कथित विदेशी मुद्रा विनियम अधिनियम (FCRA) उल्लंघन को लेकर मामला दर्ज किया है। हालांकि, केरल उच्च न्यायालय ने अक्टूबर में CBI जांच पर रोक लगा दी थी।
सामान्य सहमति
क्या होती है सामान्य सहमति?
बता दें कि CBI दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम द्वारा शासित है। ऐसे में इसे किसी भी राज्य में जांच के लिए संबंधित राज्य सरकार की सहमति लेनी होती है।
इसका कारण यह है कि CBI के पास केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर ही अधिकार क्षेत्र है।
ऐसे में यह राज्य सरकार के कर्मचारियों और किसी राज्य में हिंसक अपराध से संबंधित मामले की जांच संबंधित सरकार की सहमति के बाद ही कर सकती है।
पृष्ठभूमि
अक्टूबर में महाराष्ट्र सरकार ने वापस ली थी सहमति
बता दें कि गत अक्टूबर में महाराष्ट्र सरकार ने भी CBI को दी गई अपनी सामान्य सहमति वापस ले ली थी। इससे पहले जुलाई में राजस्थान और 2019 में छत्तीसगढ़ सरकार ने यह कदम उठाया था।
इसी तरह नवंबर 2018 में पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश सरकार ने ऐसा किया था। राज्यों ने आरोप लगाया था कि केंद्र CBI के जरिए विपक्ष को निशाना बना रहा है। हालांकि, आंध्र प्रदेश ने पिछले साल इसे बहाल कर दिया था।