बिहार के पिछले पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे क्या रहे थे?

बिहार में मंगलवार शाम तक साफ हो जाएगा कि अगली सरकार किसकी होगी? फिलहाल मतगणना हो रही है और अभी तक के रुझानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) आगे चल रहा है। अगर रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं तो NDA आसानी से अपनी सरकार बना लेगा। सब लोगों की नजरें आने वाले नतीजों पर टिकी हुई हैं, लेकिन हम आपको थोड़ा पीछे ले जाते हैं। हम आपको बिहार के पिछले पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे बताने जा रहे हैं।
साल 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी आदि ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था। इनकी टक्कर भाजपा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा वाले NDA से थी। नतीजों में राजद को 80, जदयू को 71, भाजपा को 53 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं। इसके बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी थी।
हालांकि, दो साल बाद 2017 में नीतीश कुमार की पार्टी महागठबंधन से अलग हो गई और भाजपा के साथ मिलकर बिहार में बना ली। इस बार के चुनावों में जदयू और भाजपा साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं।
उससे पहले 2010 में जदयू और भाजपा ने साथ मिलकर NDA गठबंधन में राजद और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ा था। नतीजों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी जदयू को 115, भाजपा को 91, राजद को 22, कांग्रेस को चार और लोजपा को तीन सीटें मिली थीं। राजद को इस चुनाव में सीटों का भारी नुकसान उठाना पड़ा था। उस समय भी NDA गठबंधन की सरकार बनी और नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री चुने गए।
साल 2005 में बिहार में दो बार विधानसभा के चुनाव हुए। पहली बार फरवरी, 2005 में हुए चुनावों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।
2005 में दूसरी बार अक्टूबर में विधानसभा चुनाव कराये गए। इन चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी जनता दल यूनाइटेड ने 139 में से 88 सीटें जीती। 55 सीटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर रही। बाकी पार्टियों की बात करें तो राजद 54, लोजपा 10 और कांग्रेस महज नौ ही सीटें जीत पाईं। चुनावों में सबसे बड़ी दो पार्टी रहीं भाजपा और जदयू ने मिलकर सरकार बनाई और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए।
साल 2000 के विधानसभा चुनाव के समय बिहार में 324 सीटें होती थीं। ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय तक झारखंड का गठन नहीं हुआ था और वह बिहार का हिस्सा था। बीबीसी के अनुसार, 2000 के विधानसभा चुनावों में राजद ने कुल 293 सीटों पर चुनाव लड़कर सर्वाधिक 124 सीटें जीती थीं। दूसरे नंबर पर रही भाजपा को 67, समता पार्टी को 34 और कांग्रेस को 23 सीटें मिली। इन चुनावों में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थीं।
आज जिन पार्टियों के हम बात कर रहे हैं, 1995 के चुनावों में उनमें से अधिकतर पार्टियां नहीं थीं। उस समय लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में जनता दल ने 264 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 167 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा को इन चुनावों में 41, कांग्रेस को 29, झारखंड मुक्ति मोर्चा को 10 और समता पार्टी को सात सीटें मिलीं। नतीजों के बाद सबसे बड़ी पार्टी जनता दल के लालू यादव मुख्यमंत्री चुने गए थे।