कृषि कानून: सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी, आज होने वाली वार्ता रद्द
क्या है खबर?
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध का जल्द हल निकलता नहीं दिख रहा है।
सरकार ने कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया है। वहीं किसानों का कहना है कि कानून रद्द नहीं होने तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
गतिरोध का हल निकालने के लिए अमित शाह ने मंगलवार को किसानों के साथ बैठक की थी, लेकिन इसमें कोई नतीजा नहीं निकला।
साथ ही आज की प्रस्तावित वार्ता भी रद्द हो गई है।
अनौपचारिक बातचीत
अमित शाह के साथ किसानों की बैठक में क्या हुआ?
कृषि कानूनों के विरोध में बुलाए भारत बंद के दिन गृह मंत्रालय ने कुछ किसान संगठनों के नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया था।
इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च पुसा कॉम्पलेक्स में हुई इस बैठक में शाह ने किसान नेताओं से कहा कि सरकार इन तीन कानूनों को वापस नहीं ले सकती।
उन्होंने किसानों से कहा कि बुधवार यानी आज कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तीनों कानूनों में संशोधन को लेकर लिखित आश्वासन किसानों के सामने रखेंगे।
प्रतिक्रिया
किसान नेता बोले- संशोधन मंजूर नहीं, कानून वापस ले सरकार
शाह के साथ बैठक में शामिल होने वाले अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हनन मोल्लाह ने कहा, "बैठक में गृह मंत्री ने साफ कर दिया कि सरकार कानून वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि बुधवार को सरकार कानूनों में संशोधन को लेकर लिखित आश्वासन देगी।"
उन्होंने आगे कहा, "संशोधन की कोई बात नहीं है। हम चाहते हैं कि कानून वापस लिए जायें। हमें संशोधन मंजूर नहीं है। हम चाहते हैं कि कानून निरस्त हो।"
योजना
सरकार के आश्वासनों पर चर्चा करेंगे किसान
मोल्लाह ने आगे कहा कि बुधवार दोपहर आंदोलनकारी किसान सिंघु बॉर्डर पर सरकार के लिखित आश्वासन पर चर्चा करेंगे। कुछ किसान नेता चाहते हैं कि सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने से पहले इस पर चर्चा की जानी चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि किसान संगठन बुधवार दोपहर आश्वासनों पर चर्चा करेंगे। अगर इसमें केवल संशोधनों की बात होगी तो आगे बातचीत का कोई सवाल नहीं हैं। रिश्ता खत्म हो जाएगा।
औपचारिक वार्ता
सरकार और किसानों की आज होने वाली बैठक रद्द
शाह के साथ चर्चा के बाद किसानों से बुधवार को केंद्र सरकार के साथ होने वाली औपचारिक बैठक में न जाने का फैसला किया है।
हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसान बुधवार को केंद्र के प्रस्ताव पर चर्चा कर फैसला करेंगे कि आगे बैठक की जरूरत होगी या नहीं। शाह के साथ बैठक में बात आगे नहीं बढ़ी। सरकार संशोधन की बात कर रही है, लेकिन किसानों को यह मंजूर नहीं है।
जानकारी
आगे का रास्ता साफ नहीं
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठन दोनों अपने-अपने रूख पर कायम है। सरकार कानून वापस नहीं लेना चाहती और किसान इससे कम किसी पेशकश पर सहमत नहीं है। ऐसे में अभी तक यह साफ नहीं है कि आगे का रास्ता क्या होगा।
विरोध की वजह
किसान क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।