सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सेंट्रल विस्टा परियोजना में निर्माण पर रोक, शिलान्यास समारोह की दी अनुमति
केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नए संसद भवन सहित अन्य निर्माण कार्यों की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर को नए संसद भवन का शिलान्यास करेंगे। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के परियोजना शुरू करने के तरीके पर नाराजगी जताते हुए मामले से जुड़ी याचिकाओं पर अंतिम फैसला आने तक किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगाई है। हालांकि, शिलान्यास समारोह पर रोक नहीं लगाई है।
सेंट्रल विस्टा परियोजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जारी है याचिकाओं पर सुनवाई
बता दें कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नया संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के आवासों का निर्माण और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को विकसित करने का कार्य किया जाएगा। सरकार ने टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को 861.90 करोड़ रुपये में नए संसद भवन के निर्माण का ठेका भी दे दिया है। हालांकि, इस परियोजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई जारी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को लेकर जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सेंट्रल विस्टा परियोजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस एएम खानविल्कर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की पीठ ने सरकार के तरीके पर नाराजगी जताई। पीठ ने कहा कि जब तक याचिकाओं पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता तब तक कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है। ऐसे में पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता परियोजना को लेकर सरकार के दृष्टिकोण से अवगत कराने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए किसी भी तरह का निर्माण नहीं करने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाओं पर अंतिम फैसले से पहले यदि साइट पर कोई बदलाव किया जाता है तो बाद में उसे पहले जैसा नहीं किया जा सकता। ऐसे में याचिकाओं पर अंतिम फैसला आने तक सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ काटने का काम नहीं होना चाहिए। इस पर मेहता ने आदेश की पालना का आश्वासन दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन के शिलान्यास समारोह की अनुमति दे दी।
2022 तक बनकर तैयार होगा नया संसद भवन
बता दें कि विस्टा परियोजना के तहत बनाए जाने वाले नए संसद भवन का निर्माण साल 2022 में देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके निर्माण में करीब 971 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके निर्माण में 2,000 लोग प्रत्यक्ष रूप से और 9,000 लोग अप्रत्यक्ष रूप से लगे हुए हैं। नए भवन में 1,224 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके अलावा सभी सांसदों के लिए अलग-अलग कार्यालय पेपर रहित कार्यालय बनाए जाएंगे।
मौजूदा संसद भवन का क्या होगा?
लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला ने कहा मौजूदा संसद भवन को पुरातात्विक संपत्ति के रूप में संरक्षित किया जाएगा। बता दें कि मौजूदा संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को रखी गई थी और इसका उद्घाटन समारोह 18 जनवरी, 1927 को किया गया था। उस दौरान संसद भवन को तैयार करने में 83 लाख की लागत आई थी। इस भवन का डिजाइन नई दिल्ली की योजना और निमार्ण के लिए जिम्मेदार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा तैयार किया गया था।