क्या था सरकार का प्रस्ताव और क्यों किया किसानों ने इसे खारिज?
किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार और किसानों के बीच रविवार को हुई चौथे दौर की बातचीत भी सफल नहीं हो सकी। किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। किसानों का कहना है कि इस प्रस्ताव में कोई दम नहीं हैं। किसान नेताओं ने सरकार को मंगलवार तक का समय दिया है और कहा है कि बात नहीं बनी तो वह 21 फरवरी को फिर से 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू करेंगे।
किसानों के साथ चौथे दौर की बातचीत में कौन-कौन हुआ शामिल?
रविवार को किसान नेताओं के साथ बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल हुए थे। इस बैठक के लिए सभी सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान पहुंचे थे जोकि करीब 8:30 बजे शुरू हुई थी। केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच इससे पहले 8, 12 और 15 फरवरी को भी बैठक हुई थी, लेकिन यह बेनतीजा रही।
सरकार का प्रस्ताव क्या था?
प्रस्ताव के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (NCCF) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) सहित सरकारी सहकारी एजेंसियां मक्का और 3 दालों- अरहर, उड़द और मूंग की खरीद करेंगी। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किए जाने के बाद भारतीय कपास निगम (CCI) कपास की उपज की खरीद करेगी। गोयल ने बताया कि इसके लिए किसान और ये एजेंसियां 5 साल का कानूनी अनुबंध करेंगी।
सरकार के नए प्रस्ताव के पीछे का उद्देश्य क्या था?
गोयल ने रविवार शाम बताया कि किसान नेताओं ने जल स्रोतों के सूखने के कारण पंजाब में बढ़ते मरुस्थलीकरण की ओर इशारा किया था और इसी कारण विविधीकरण पर चर्चा हुई। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, "हमने चर्चा की कि कैसे दालों की खेती से आयात कम किया जा सकता है, पंजाब में पानी का संरक्षण किया जा सकता है, मिट्टी की गुणववत्ता बनाए रखने में मदद हो सकती है और किसानों की आय को बढ़ाया जा सकता है।"
किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव को क्यों खारिज किया?
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, "सरकार के प्रस्ताव से किसानों को कोई लाभ नहीं होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर सरकार MSP की गारंटी देती है तो हमारा 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च होगा, लेकिन हमारी संस्था के आंकड़े कहते हैं कि अगर सरकार सभी फसलों पर MSP दे तो इसमें एक लाख 75,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। अगर सरकार इतना पैसा लगा रही है तो सभी फसलों पर सरकार को MSP देनी चाहिए।"
किसानों ने प्रस्ताव खारिज करने के पीछे और क्या कारण बताए?
पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह प्रस्ताव वास्तव में विविधीकरण के नाम पर अनुबंध खेती है। उन्होंने कहा, "हमने सरकार के प्रस्ताव को ठीक से समझा। सरकार की नीयत में खोट है। हमें सभी फसलों पर MSP गारंटी चाहिए। बाकी सरकार बताए कि वह कर्ज माफी पर क्या फैसला लेती है। हमने चर्चा के लिए समय लिया ताकि यह न कहा जाए कि हमने प्रस्ताव पर विचार नहीं किया।
किसानों ने पंजाब सरकार पर भी उठाए सवाल
इस बैठक में मुख्यमंत्री मान की मौजूदगी पर डल्लेवाल ने कहा, "हम उन्हें बताना चाहते थे कि वह मुख्यमंत्री हैं और हमारे राज्य में आंसू गैस के गोले और अन्य गोला-बारूद दागे जा रहे हैं। सीमा पर हमारा एक किसान साथी शहीद हुआ, लेकिन अब तक पंजाब सरकार ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है और न ही उनका पार्थिव शरीर मिला है।" किसान नेता ने पंजाब के 7 जिलों में इंटरनेट सेवा बंद होने पर भी सवाल उठाए।
किसानों का ऐलान- 21 फरवरी को शुरू करेंगे 'दिल्ली चलो' मार्च
पंढेर ने कहा, "केंद्र सरकार चर्चा में कुछ और कहती है और बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ और कहती है। 21 फरवरी को सुबह 11 बजे हम दिल्ली की ओर बढ़ेंग। सरकार ने हमें एक प्रस्ताव दिया है ताकि हम अपनी मूल मांगों से पीछे हट जाएं। अब जो भी होगा उसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।" पंढेर ने आगे कहा, "सरकार की मंशा बिल्कुल साफ थी कि वो हमें किसी भी कीमत पर दिल्ली में घुसने नहीं देंगे।"
किसानों का विरोध प्रदर्शन कब शुरू हुआ था?
दरअसल, किसान अपनी कुछ प्रमुख मांगों को लेकर 13 फरवरी से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और उनकी सबसे बड़ी मांग MSP को लेकर कानून बनाने की है। किसानों को रोकने के लिए दिल्ली की सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर बैरिकेड्स, कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलों और कंटीले तारों के जरिए रास्ते अवरुद्ध किए गए हैं। किसानों ने 16 फरवरी को देशभर में ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया था और पंजाब में रेल रोको आंदोलन भी किया।