#NewsBytesExplainer: इस बार किसान आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहा है?
किसान आंदोलन का 'दिल्ली चलो' मार्च मंगलवार को शुरू हो गया। इस आंदोलन के कारण दिल्ली और इसके आसपास के शहरों में सुरक्षा के सख्त इंतजाम हैं। दिल्ली की ओर कूच रहे किसानों को रोकने के लिए पंजाब-हरियाणा की शंभू सीमा पर हरियाणा पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। आइए जानते हैं इस बार किसान आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहा है।
कौन कर रहा किसान आंदोलन का नेतृत्व?
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर इस बार किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। अपनी मांगों के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए इन्हीं दोनों नेताओं के नेतृत्व में मंगलवार को हजारों किसानों ने 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू किया। संगठनों की बात करें तो SKM (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।
जगजीत सिंह डल्लेवाल कौन हैं?
जगजीत सिंह फरीदकोट जिले के डल्लेवाल गांव के निवासी हैं। वह बीते कई सालों से किसानों की आवाज उठा रहे हैं और इसके लिए आंदोलन करते रहे हैं। वह 2022 में तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने पटियाला में बिजली पर किसानों की मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन किया था। उनके संयुक्त किसान मोर्चा के उस खेमे से मतभेद हैं, जिसने 2022 का पंजाब चुनाव लड़ा था। उनका मानना है कि किसानों को राजनीति में नहीं उतरना चाहिए।
सरवन सिंह पंढेर कौन हैं?
45 वर्षीय सरवन सिंह पंढेर पंजाब के अमृतसर के निवासी हैं और उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई की है। वे अपने छात्र जीवन से ही आंदोलनों में शामिल रहे हैं और अक्सर किसान हितों के लिए मुखर रहे हैं। अभी वह पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव हैं। 2007 में सतनाम सिंह पन्नू ने इसका गठन किया था। यह संगठन अमृतसर के किसानों के लिए काम करता है, लेकिन पंजाब के 7-8 जिलों से इसके तार जुड़े हुए हैं।
SKM (गैर-राजनीतिक) क्या है?
2021 में जब किसान आंदोलन खत्म हुआ तो समूहों में मतभेद के बाद कई विभाजन हो गए। जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में पंजाब स्थित उनके भारतीय किसान यूनियन (सिधुपूर) ने छोटे समूहों के साथ मिलकर SKM (गैर-राजनीतिक) का गठन किया। SKM (गैर-राजनीतिक) में हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कृषि संगठन भी शामिल हैं। संगठन ने किसान मजदूर मोर्चा के साथ 'दिल्ली चलो 2.0' के बैनर तले अमृतसर और बरनाला में रैलियां भी की थीं।
किसान मजदूर मोर्चा क्या है?
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, 18 किसान समूहों ने मिलकर किसान मजदूर मोर्चा का गठन किया गया है। पंजाब स्थित किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव पंढेर इसके संयोजक हैं। इस संगठन में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के SKM (गैर-राजनीतिक) जुड़े हुए हैं। इसके अलावा इसमें भारतीय किसान यूनियन (BKU) (राजेवाल), ऑल इंडिया फेडरेशन, किसान संघर्ष समिति पंजाब, BKU (मनसा) और आजाद किसान संघर्ष समिति भी शामिल हैं।
पुराने किसान आंदोलन के नेता और संगठन इस आंदोलन में शामिल हैं?
2020 में किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी और राकेश टिकैत ने अभी तक इस आंदोलन से दूरी बना रखी है। हालांकि, टिकैत ने इस आंदोलन का समर्थन किया है और कहा है कि किसानों की मांगें सुनी जानी चाहिए। दूसरी तरफ चढूनी ने किसानों के दिल्ली मार्च पर ही सवाल खड़े किए हैं। इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा भी इस आंदोलन में शामिल नहीं हुआ है।
इस बार किसानों की क्या-क्या मांगें हैं?
SKM और किसान मजदूर मोर्चा की केंद्र सरकार से कई मांगें हैं। इनमें MSP पर कानून, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, शामिल किसानों की कर्ज माफी, उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे रद्द करना, वृद्ध किसानों को पेंशन, कृषि उत्पादों के आयात शुल्क में कमी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 लागू करना प्रमुख हैं। कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन और विद्युत संसोधन विधेयक, 2020 को रद्द करने की मांग भी है।