#NewsBytesExplainer: सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों को लेकर क्या बहस है और CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल में प्रयागराज के एक कार्यक्रम में न्यायाधीशों को मिलने वाली छुट्टियों का जिक्र किया था।
उन्होंने कहा कि सभी समझते हैं कि न्यायाधीशों को बहुत छुट्टियां मिलती हैं, लेकिन न्यायाधीश हफ्ते के सातों दिन काम करते हैं। उनके इस बयान से एक बार फिर न्यायाधीशों को मिलने वाले छुट्टियां बहस के केंद्र में आ गई हैं।
आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिरकार न्यायाधीशों को कितनी छुट्टियां मिलती हैं।
बयान
सबसे पहले जानें CJI ने क्या कहा
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीशों की सभी आलोचना करते हैं कि उन्हें बहुत ज्यादा छुट्टियां मिलती है, लेकिन हमारे जिला न्यायाधीश हर दिन काम करते हैं और यहां तक कि शनिवार और रविवार को भी उन्हें कानूनी सहायता शिविर लगाने पड़ते हैं।
उन्होंने विशेषकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों से आग्रह किया कि वह जिन भी व्याख्यानों और सम्मेलनों में जाते हैं तो उसकी जानकारी सार्वजनिक करें ताकि आम लोगों को पता चले कि न्यायाधीश क्या कर रहे हैं।
छुट्टी
भारत ने न्यायालयों में कितनी मिलती है छुट्टी?
भारत में पूरे साल सुप्रीम कोर्ट करीब 193 दिन काम करता है, जबकि हाई कोर्ट्स में 210 दिन कामकाज होता है और जिला कोर्ट में 245 दिन काम होता है।
सुप्रीम कोर्ट में 2 बार लंबी छुट्टियां होती हैं। गर्मी की छुट्टियों के दौरान कोर्ट 7 हफ्ते के लिए बंद होता है, जबकि दिसंबर के आखिर में 2 हफ्ते की छुट्टी होती है।
इसके अलावा दिवाली और दशहरा जैसे त्योहारों पर भी करीब एक हफ्ते की छुट्टी रहती है।
महत्वपूर्ण
न्यायालय की छुट्टी के दौरान महत्वपूर्ण मामलों में क्या है व्यवस्था?
वैसे आमतौर छुट्टियों में अति महत्वपूर्ण मामलों की न्यायालयों में सुनवाई होती है।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में 2 से 3 जजों की बेंच होती, जिन्हें 'अवकाश पीठ' कहा जाता है। इस अवकाश पीठ में प्राथमिकता के आधार पर मामलों की सुनवाई होती है, जो लंबित नहीं रह सकते।
उदाहरण के लिए साल 2017 में तत्कालीन CJI जेएस खेहर की अवकाश पीठ ने गर्मी की छुट्टियों के दौरान तीन तलाक मामले की 6 दिन तक लगातार सुनवाई की थी।
अलोचना
न्यायाधीशों की छुट्टी की क्यों होती है आलोचना?
भारत में न्यायाधीशों की छुट्टियों की व्यवस्था ब्रिटिशकालीन है। साल 2000 से विधि आयोग अपनी रिपोर्ट में समय-समय पर न्यायाधीशों की छुट्टियों में कटौती की सिफारिशें कर रहा है।
2014 में तत्कालीन CJI आरएम लोढ़ा ने सुझाव दिया था कि न्यायाधीशों एक साथ छुट्टी पर ना जाकर साल में अलग-अलग समय पर बारी-बारी से छुट्टी लें ताकि साल भर न्यायालय खुले रहे।
तब पूरे देश के न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या 2 करोड़ तक पहुंच गई थी।
मामला
कब न्यायाधीशों की छुट्टी को लेकर था हुआ विवाद?
2022 में तत्कालीन कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने न्यायाधीशों की लंबी छुट्टियों को लेकर उनकी आलोचना की थी। उन्होंने संसद में लंबित मुकदमों से जुड़े सवाल पर छुट्टी की व्यवस्था में परिवर्तन की बात कही।
तब न्यायाधीशों की नियुक्ति मामले में CJI चंद्रचूड़ और रिजिजू के बीच ठनी हुई थी।
हाल में अगस्त 2023 में संसद की स्थायी समिति ने भी अपनी 133वीं रिपोर्ट में न्यायाधीशों की छुट्टियों को लेकर जस्टिस लोढ़ा के दिए गए सुझावों को दोहराया है।
छुट्टी
न्यायाधीशों की छुट्टी पर क्या है कानून विशेषज्ञों की राय?
कानून विशेषज्ञों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 34 न्यायाधीश हैं और उनकी छुट्टियों में कटौती से कम से कम सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों में कमी नहीं आएगी और वह पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लंबित मामलों का मुद्दा काफी हद तक विरासती मामलों से संबंधित है, जिनसे व्यवस्थित तरीके से निपटने की जरूरत है।
आंकड़ों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में 2021 में 29,739 मामले दर्ज हुए और 24,586 मामलों का निपटारा हो गया।
अन्य देश
अन्य देशों में न्यायालयों में छुट्टी की क्या है स्थिति?
दुनिया के अन्य देशों पर नजर डालें तो भारत के न्यायालय एक साल में सबसे अधिक दिन काम करते हैं। अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट साल भर में करीब 80 दिन काम करता है।
ऑस्ट्रेलिया के कोर्ट महीने में सिर्फ 2 सप्ताह बैठता है और साल भर में करीब 100 दिन काम करता है। इसी तरह सिंगापुर का कोर्ट साल में सिर्फ 145 दिन काम करता है।
ब्रिटेन का सुप्रीम कोर्ट साल भर में करीब 189 दिन काम करता है।