ममता बनर्जी ने किया 'एक देश, एक चुनाव' का विरोध, संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ बताया
क्या है खबर?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी ने 'एक देश, एक चुनाव' (ONOE) का विरोध किया है। उन्होंने इस संबंध में विधि सचिव को पत्र लिखकर अपनी असहमति दर्ज कराई है।
ममता ने कहा कि वे कानून की प्रस्तावित अवधारणा, डिजाइन और सूत्रीकरण से सहमत नहीं हैं।
बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली 8 सदस्यीय समिति ने इस संबंध में सुझाव मांगे हैं।
नाटकीय
ममता ने ONOE को बताया नाटकीय, कई सवाल उठाए
ममता ने अपने 4 पन्नों के पत्र में पूरी प्रक्रिया को नाटकीय बताते हुए कई सवाल उठाए।
उन्होंने कहा, "मुझे आशंका है कि ONOE की डिजाइन संविधान के मूल ढांचे को राष्ट्रपति प्रणाली में बदलने की है। संविधान समिति ने हमारे देश की विविधता को ध्यान में रखते हुए संसदीय प्रणाली अपनाई थी, लेकिन ये डिजाइन राष्ट्रपति प्रणाली की ओर झुकी नजर आती है। ये निरंकुशता को लोकतांत्रिक जामा पहनाने की अनुमति देने वाली प्रणाली है।"
सवाल
ममता ने कानून के क्रियान्वयन पर उठाए सवाल
ममता ने कहा, "अलग-अलग राज्यों में अब अलग-अलग चुनावी कैलेंडर हैं और राजनीतिक घटनाक्रम के कारण इनमें भी बदलाव की आशंका है। जिन राज्यों में चुनाव नहीं होने हैं, उन्हें केवल समानता के लिए चुनाव कराने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।"
उन्होंने ONOE के क्रियान्वयन पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार के समय से पहले भंग होने की स्थिति में विधानसभाओं को अस्थिर नहीं किया जा सकता।
राय
समिति ने 15 जनवरी तक मांगी है राय
ONOE पर बनी समिति ने 15 जनवरी तक आम लोगों समेत सभी राजनीतिक पार्टियों से सुझाव और विचार मांगे हैं।
समिति ने 6 राष्ट्रीय पार्टियों, 33 क्षेत्रीय पार्टियों और 7 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों को इस संबंध में पत्र भेजा था। ममता ने इसी पत्र का जवाब दिया है।
आप भी अपने विचार या सुझाव समिति की आधिकारिक वेबसाइट onoe.gov.in या फिर sc-hlc@gov.in पर ई-मेल के जरिए भेज सकते हैं।
ONOE
क्या है 'एक देश, एक चुनाव'?
'एक देश, एक चुनाव' से आशय विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने से है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक साथ चुनाव 2 चरणों में करवाए जा सकते हैं। पहले चरण में लोकसभा और कुछ राज्यों की विधानसभाओं के लिए मतदान हो सकता है।
दूसरे चरण में बाकी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं। अगर राज्य सरकार बीच में गिर जाती है तो दूसरी बार में अन्य राज्यों के साथ उस राज्य में दोबारा चुनाव हो सकेंगे।
दलीलें
क्यों की जा रही ONOE की वकालत?
ONOE के समर्थन में मुख्य तौर पर 2 तर्क दिए जाते हैं।
पहला ये कि साथ में चुनाव होने से खर्च में कमी आएगी। देश में लगभग हर थोड़े अंतराल पर चुनाव होते रहते हैं। इसके लिए चुनाव आयोग को खासे इंतजाम करने पड़ते हैं, जिससे खर्च बढ़ता है।
दूसरा तर्क ये दिया जाता है कि अलग-अलग चुनाव होने से बार-बार आदर्श आचार संहिता लागू होती है और विकास कार्य रुक जाते हैं। ONOE से इससे भी छुटकारा मिलेगा।