दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसान; राजधानी में सुरक्षा सख्त, कई बॉर्डर सील
क्या है खबर?
आज हरियाणा और पंजाब के प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की ओर अपना मार्च शुरू कर दिया है।
'दिल्ली चलो' मार्च में 200 से अधिक किसान संघ शामिल हैं। इस विरोध के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गारंटी सहित अपनी कई मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाएंगे।
दिल्ली में किसानों के प्रवेश को रोकने सख्त इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के कई बॉर्डर सील कर दिए गए हैं।
मार्च
आज सुबह 10 बजे शुरू हुआ 'दिल्ली चलो' मार्च होगा
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, 'दिल्ली चलो' मार्च आज सुबह 10 बजे शुरू हो गया। इसमें पंजाब के संगरूर से 2,500 ट्रैक्टर ट्रॉलियों में किसान हरियाणा से होते हुए दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। इस किसान आंदोलन के लिए ट्रैक्टरों से कई रिहर्सल भी किए गए थे।
मार्च में 200 से अधिक किसान समूह और यूनियन भाग ले रहे हैं। इस मार्च की घोषणा के मद्देनजर दिल्ली-उत्तर प्रदेश और गाजीपुर सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
प्रतिबंध
दिल्ली में 12 मार्च तक धारा 144 लागू
दिल्ली की सिंघू, टिकरी और गाजीपुर की सीमाओं पर बैरिकेड्स, कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों के जरिए रास्ते अवरुद्ध किए गए हैं।
पूरी राष्ट्रीय राजधानी में पहले ही धारा 144 लागू कर दी गई है और यह 12 मार्च तक लागू रहेगी।
दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने 12 मार्च तक बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगाने, रैलियों, ट्रैक्टर प्रवेश और हथियार या ज्वलनशील वस्तुओं को ले जाने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया।
सुरक्षा तैयारी
दिल्ली में किसान आंदोलन को लेकर क्या-क्या तैयारी?
दिल्ली की सीमाओं के आसपास वाणिज्यिक वाहनों के लिए यातायात में भी बदलाव किया गया है। निजी वाहनों पर आज से प्रतिबंध लागू हो जाएगा। पुलिस ने लोगों से आवश्यक होने पर ही किसी भी यात्रा के लिए बाहर निकलने की सलाह दी है।
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने भी रविवार को एक दिशानिर्देश जारी कर वैकल्पिक रास्ते सुझाए हैं।
दंगा-रोधी उपकरणों से लैस पुलिस और अर्धसैनिक बलों की बड़े पैमाने पर तैनाती की गई है।
आसपास
हरियाणा और पंजाब ने भी सीमाओं पर बढ़ाई सुरक्षा
वहीं, हरियाणा में अधिकारियों ने पंजाब के साथ राज्य की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी है। अंबाला, जिंद, फतेहाबाद, कुरूक्षेत्र और सिरसा सहित क्षेत्रों में राज्य में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे प्रदर्शनकारियों के मार्ग को बाधित करने के लिए कंटीले तार लगाए गए हैं।
हरियाणा सरकार ने भी धारा 144 के तहत 15 जिलों में प्रतिबंध लगा दिया है और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी है। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है।
कारण
किसान क्यों कर रहे प्रदर्शन?
संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा की सरकार से कई मांगे हैं। इनमें MSP पर कानून, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, किसान आंदोलन में शामिल किसानों की कर्ज माफी, वृद्ध किसानों को पेंशन, कृषि उत्पादों के आयात शुल्क कमी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 लागू करना प्रमुख हैं।
इसके अलावा किसान कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन और विद्युत संसोधन विधेयक, 2020 को रद्द करने की मांग शामिल है।
नकाम
सरकार की किसानों को मनाने की कोशिश रही नाकाम
केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोमवार को 5 घंटे की बैठक बेनतीजा रहने के बाद पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने मार्च करने के फैसले की घोषणा की।
उन्होंने कहा, "हमें नहीं लगता कि सरकार हमारी किसी भी मांग पर गंभीर है। सरकार किसान आंदोलन रोकने के लिए समय मांग रही, पहले भी 2 साल का समय मांगा था। अगर सरकार ने हमें कुछ भी पेशकश की होती, तो हम अपने इसपर पुनर्विचार कर सकते थे।"
सहमति
किन मांगों पर बनी सहमति
किसानों के साथ वार्ता बैठक में शामिल केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने संकेत दिया कि अधिकांश मुद्दों पर आम सहमति बन गई है। एक समिति का गठन कर अन्य चिंताओं के समाधान के लिए प्रस्ताव रखे गए हैं।
उन्होंने कहा, ''हमें अब भी उम्मीद है कि किसान संगठन बातचीत करेंगे।"
न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि केंद्र 2020-21 के आंदोलन से किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने पर सहमत हो गई है।
जानकारी
सहमति के बावजूद नहीं रुका किसान आंदोलन
हालांकि, MSP के लिए कानूनी गारंटी की मांग करने वाले नेताओं को समझाने में सरकार के प्रयास विफल रहे। पिछले विरोध प्रदर्शनों में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर सहमति बनी, फिर भी यह नियोजित मार्च को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं था।