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दोपहिया वाहनों के लिए BIS प्रमाणित हेलमेट अनिवार्य, लोकल हेलमेट बनाना और बेचना प्रतिबंधित

दोपहिया वाहनों के लिए BIS प्रमाणित हेलमेट अनिवार्य, लोकल हेलमेट बनाना और बेचना प्रतिबंधित

Nov 28, 2020
02:27 pm

क्या है खबर?

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि भारत में दोपहिया वाहनों के लिए केवल भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा प्रमाणित किए गए हेलमेट का ही निर्माण और ब्रिक्री होगी। इस कदम से देश में खराब गुणवत्ता वाले हेलमेट की बिक्री पर रोक लग सकेगी। अभी लोग पुलिस और जुर्माने से बचने के लिए सड़कों किनारे मिलने वाले खराब गुणवत्ता वाले हेलमेट खरीद लेते हैं, जिससे दुर्घटना होने पर गंभीर चोट लगने का खतरा बना रहता है।

बयान

गंभीर चोटों से बचाता है अच्छा हेलमेट

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि उच्च गुणवत्ता और BIS द्वारा प्रमाणित हेलमेट दुर्घटना के समय लोगों को गंभीर रूप से चोटिल होने से बचाने में मदद करते हैं। बता दें की सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की समिति के निर्देशों पर सरकार ने भारत में मौसम के लायक हेलमेट पर विचार करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था। इसका काम हेलमेट से जुड़ी सिफारिशें देना था।

प्रक्रिया

समिति ने 2018 में सरकार को सौंपी थी सिफारिशें

समिति में BIS और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) समेत अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। समिति ने मार्च 2018 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें सरकार से हल्के वजन वाले हेलमेट की सिफारिश की गई थी। सरकार ने अब इन सिफारिशों को मान लिया है। समिति की रिपोर्ट के बाद BIS ने अपनी शर्तों में बदलाव किया था, जिसके बाद अब हल्के वजन वाले हेलमेट को भी प्रमाण-पत्र मिल सकेगा और दोपहिया सवार इसे पहन सकेंगे।

जानकारी

लोकल हेलमेट बनाना और बेचना होगा गैरकानूनी

बता दें, भारत में हर साल 1.7 करोड़ दोपहिया वाहन बनाए जाते हैं। अब इस नियम के लागू होने के बाद घटिया गुणवत्ता वाले हेलमेट बनाना और उन्हें बेचना प्रतिबंधित होगा। साथ ही ऐसे हेलमेट पहनने वाले दोपहिया सवारों पर जुर्माना लगाया जाएगा।

सराहना

अंतरराष्ट्रीय संगठन ने किया सरकार के कदम का स्वागत

सरकार ने इस साल अगस्त में सड़क सुरक्षा की दिशा में अहम कदम उठाते हुए BIS प्रमाणित हेलमेट अनिवार्य करने की प्रक्रिया शुरू की है। उस वक्त मंत्रालय ने बताया था कि दोपहिया वाहनों से होने वाली जानलेवा दुर्घटनाओं को कम करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। जेनेवा स्थित इंटनरेशल रोड फेडरेशन ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। फेडरेशन ने कहा है कि लंबे समय से ऐसे कदम का इंतजार किया जा रहा था।

सड़क हादसे

भारत में डराने वाले हैं हादसों से जुड़े आंकड़े

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, 2017 की तुलना में 2018 में 0.46 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। 2017 में जहां 4,64,910 हादसे हुए। वहीं 2018 में यह संख्या बढ़कर 4,67,044 हो गई। इस दौरान मृत्यु दर में भी लगभग 2.37 फीसद की बढ़ोतरी हुई। 2017 में 1,47,913 की तुलना में 2018 में 1,51,471 लोगों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई। हालांकि, इस दौरान घायलों की संख्या में मामूली गिरावट देखी गई।