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    कोविशील्ड को एक खुराक वाली वैक्सीन बनाने के केंद्र के प्रयासों पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
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    देश 1 मिनट में पढ़ें

    कोविशील्ड को एक खुराक वाली वैक्सीन बनाने के केंद्र के प्रयासों पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल

    लेखन मुकुल तोमर
    Jun 01, 2021
    01:15 pm
    कोविशील्ड को एक खुराक वाली वैक्सीन बनाने के केंद्र के प्रयासों पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल

    देश में कोरोना वायरस वैक्सीन की कमी के बीच केंद्र सरकार कोविशील्ड वैक्सीन की एक खुराक की प्रभावशीलता जांचने की कोशिश कर रही है और अगर एक खुराक को प्रभावी पाया जाता है तो सरकार कोविशील्ड को एक खुराक वाली वैक्सीन बनाने पर विचार कर सकती है। हालांकि विशेषज्ञों ने उसकी इस सोच पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि वैक्सीन की दो खुराकें ही मौतों को रोकने में कामयाब रहती हैं।

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    क्या है केंद्र सरकार की योजना?

    दरअसल, केंद्र सरकार जल्द ही इस बात का आंकलन शुरू करने वाली है कि कोविशील्ड की एक खुराक कितनी प्रभावी है। कोविशील्ड जॉनसन एंड जॉनसन और स्पूतनिक लाइट वैक्सीनों वाली तकनीक से ही बनी है और ये दोनों ही एक खुराक वाली वैक्सीनें हैं। इसलिए सरकार को उम्मीद है कि कोविशील्ड की एक खुराक भी संक्रमण और मौतों को रोकने में प्रभावी हो सकती है। इससे अधिक आबादी को जल्द से जल्द वैक्सीनेट भी किया जा सकेगा।

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    बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया सरकार का समर्थन

    बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सरकार की इस सोच का समर्थन भी किया है। प्राणी विज्ञान के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा, "हमने कोविड से ठीक हुए और गैर-संक्रमित लोगों पर वैक्सीन के प्रभाव की जांच की है। जहां 90 प्रतिशत गैर-संक्रमितों में 3-4 हफ्ते में एंटीबॉडीज बनती हैं, वही ठीक हुए मरीजों में पहली खुराक के एक हफ्ते के अंदर एंटीबॉडीज बन जाती हैं। ठीक हुए लोगों को एक खुराक देकर हम किल्लत से राहत पा सकते हैं।"

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    अन्य विशेषज्ञ सरकार की सोच से सहमत नहीं

    हालांकि अन्य विशेषज्ञ सरकार की सोच से सहमत नहीं हैं। भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान और महामारी विशेषज्ञ प्रोफेसर गिरिधर बाबू ने इस पर कहा, "ये बिल्कुल भी अच्छा विचार नहीं है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि एक खुराक बड़े स्तर पर मृत्यु या गंभीर बीमारी से सुरक्षा प्रदान कर सकती है।" उन्होंने कहा कि मौजूद सबूत दर्शाते हैं कि दो खुराकें मौतों को रोकने में सक्षम हैं और एंटीबॉडी के स्तर से प्रभावशीलता साबित नहीं होती है।

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    अभी सभी को एक खुराक लगा सकते हैं, लेकिन दूसरी खुराक जरूरी- डॉ बाबू

    डॉ बाबू ने कहा, "हमें दोनों खुराकें लगानी चाहिए, खासकर अधिक जोखिम वाली आबादी को। अगर हम सभी को दो खुराकें लगाने में नाकामयाब रहते हैं तो हम सभी को एक खुराक लगा सकते हैं। लेकिन 12 हफ्ते के अंदर दूसरी खुराक जरूर लगानी होगी।"

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    स्कॉटलैंड NHS के डॉक्टर ने कहा- ये वैज्ञानिक तौर पर गलत

    स्कॉटलैंड NHS के डॉ अविरल वत्स ने भी ऐसे ही विचार पेश करते हुए कहा, "ये वैज्ञानिक तौर पर गलत है। बात खत्म। असल में एक खुराक से कुछ ही सुरक्षा मिलती है और दूसरी खुराक सुरक्षा के स्तर को 60-70 प्रतिशत और कुछ मामलों में और अधिक पहुंचा देती है।" वहीं टाटा मेमोरियल अस्पताल के निदेशक सीएस प्रमेश ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि एक खुराक कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करती है।

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    वैक्सीन की किल्लत का सामना कर रहे हैं राज्य

    बता दें कि केंद्र कोविशील्ड की एक खुराक की प्रभावशीलता का आंकलन ऐसे समय पर कर रही है जब कई राज्य वैक्सीन की किल्लत का सामना कर रहे हैं और दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों को कुछ जगहों पर वैक्सीनेशन बंद करना पड़ा है। वैक्सीनेशन की रफ्तार भी धीमी बनी हुई है और राज्य इसके लिए वैक्सीन की कम सप्लाई को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। केंद्र पर भाजपा शासित राज्यों को तरजीह देने का आरोप भी लगा है।

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