उत्तर प्रदेश पुलिस ने कफील खान को किया गिरफ्तार, AMU में भड़काऊ भाषण देने का आरोप
बुधवार को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने डॉक्टर कफील खान को मुंबई में गिरफ्तार किया। उन पर नागरिकता कानून (CAA) विरोधी प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। उन्होंने ये भाषण 12 दिसंबर को दिया था और अब लगभग 48 दिन बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है। अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि स्पेशल टास्क फोर्स ने उन्हें इतने दिन बाद क्यों गिरफ्तार किया है।
13 दिसंबर को दर्ज हुआ था मुकदमा
कफील के खिलाफ 13 दिसंबर को अलीगढ़ के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 153A के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। धर्म, भाषा, नस्ल आदि के आधार पर नफरत पैदा करने के आरोपियों पर ये धारा लगाई जाती है। कफील के खिलाफ दर्ज FIR में उन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 12 दिसंबर को AMU के लगभग 600 छात्रों को संबोधित करते हुए CAA को लेकर भड़काऊ भाषण दिया था।
क्या कहा था डॉक्टर कफील ने?
FIR के अनुसार छात्रों को संबोधित करते हुए कफील ने कहा था कि 'मोटा भाई' सबके हिंदू या मुस्लिम बनना सिखा रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह को आमतौर पर कुछ लोग 'मोटा भाई' कह कर संबोधित करते हैं। CAA पर हमला करते हुए कफील ने कहा था कि CAA मुस्लिमों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की साजिश है और इसे लाकर सरकार ये दिखाना चाहती है कि भारत एक देश नहीं है।
अपने भाषण में कफील ने RSS पर भी साधा निशाना
शिकायत के अनुसार अपने भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर हमला करते हुए कफील ने कहा, "यह लड़ाई हमारे अस्तित्व की लड़ाई है। हमें लड़ना होगा। RSS के स्कूलों में बच्चों को बताया जाता है कि दाढ़ी रखने वाले लोग आतंकवादी होते हैं। जब से RSS का उदय हुआ है, मुझे संविधान पर भरोसा नहीं रह गया।" मुंबई में भी कफील को CAA विरोधी प्रदर्शन में शामिल होना था लेकिन इससे पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
कौन हैं कफील खान?
अगस्त, 2017 में गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन खत्म होने के कारण 63 बच्चों की मौत के मामले में कफील पहली बार चर्चा में आए थे। घटना के समय वो अस्पताल में बतौर बच्चों के डॉक्टर तैनात थे और उन पर इसे रोकने के लिए कदम नहीं उठाने, लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। आरोप लगने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था और वो नौ महीने जेल में भी रह चुके हैं।
सितंबर 2019 में सरकार की जांच समिति से मिली क्लीन चिट
कफील पर सरकारी अस्पताल में नौकरी करने के साथ-साथ अपनी निजी प्रैक्टिस चलाने का आरोप भी लगा था। हालांकि सितंबर 2019 में उत्तर प्रदेश सरकार की जांच समिति ने उन्हें घटना से संबंधित सभी मामलों में क्लीन चिट दे दी थी।