नागरिकता (संशोधन) बिल राज्यसभा से भी पारित, कानून बनने के लिए एक कदम और बाकी
विवादित नागरिकता (संशोधन) बिल ने राज्यसभा की बाधा भी पार कर ली है। सदन में बिल के समर्थन में 125 सांसदों ने वोट किया जबकि इसके खिलाफ 105 वोट पड़े। इससे पहले ये लोकसभा से 80 के मुकाबले 311 वोटों से पारित हुआ था। बिल में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना करने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
अब मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा बिल
बिल पर वोटिंग होने से पहले इसे संसद की सलेक्ट कमिटी के पास भेजने के लिए भी वोटिंग हुई। लेकिन 99 के मुकाबले 124 वोटों से ये प्रस्ताव गिर गया। इस बीच शिवसेना ने वोटिंग का बहिष्कार करते हुए राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। अब बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये कानून का रूप लेगा। कानून बनने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया था बिल
इससे पहले बिल को राज्यसभा में पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "जब बंटवारा हुआ तो माना गया कि अल्पसंख्यकों को नागरिक अधिकार मिलेंगे और वो सामान्य जीवन जिएंगे, वो अपना धर्म मानने और महिलाओं की आजादी के लायक होंगे। लेकिन जब हम पीछे देखते हैं तो हमें असली सच दिखता है। इन लोगों को उनके अधिकार नहीं मिले। उन्हें मारा गया, धर्मांतरण किया गया या फिर वो भारत आ गए।"
शाह बोले, मुस्लिमों को चिंता करने की जरूरत नहीं
शाह ने कहा, "पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की जनसंख्या में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आई है। उन्हें या तो मार दिया गया या फिर वो शरण के लिए भारत आए।" बिल के मुस्लिम विरोधी होने के सवाल का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि देश के मुसलमानों को चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा, "भारतीय मुस्लिम भारतीय नागरिक हैं और हमेशा रहेंगे। उनके खिलाफ कोई भेदभाव नहीं होगा।"
कांग्रेस के आनंद शर्मा बोले, भारत की आत्मा को चोट पहुंचाता है बिल
वहीं कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा, "ये भारत की आत्मा को चोट पहुंचाता है। ये हमारे संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है। ये नैतिकता और संविधान के टेस्ट पर खरा नहीं उतरता।" उन्होंने कहा, "इतिहास को बदला नहीं जा सकता। दुनिया में बहुत सी ऐसी कोशिशें हुईं लेकिन वे सफल नहीं हो सकीं। एक नजरिया उन लोगों का भी था जो गांधी और कांग्रेस के विरोधी थे। उनमें मुस्लिम लीग, जिन्ना, हिंदू महासभा और सावरकर थे।"
"प्रधानमंत्री मोदी से बेहद नाराज होंगे सरदार पटेल"
शर्मा ने आगे कहा, "मैं कहता हूं गांधी के चश्मे से हिंदुस्तान को देखें। गांधी ने कहा था कि मैं नहीं चाहता कि मेरे घर के चारो तरफ दीवारें बनी हों और खिड़कियां बंद हों। गृह मंत्री गौर करें। आग्रह यही है कि जल्दबाजी न हो ताकि देश में जो भावना है वो शब्दों से खत्म न हो।" शर्मा ने कहा कि अगर आज सरदार पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलते हैं तो वो उनसे बहुत नाराज होंगे।
चिदंबरम बोले, हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रही सरकार
पी चिदंबरम ने ये बिल संसद के मुंह पर तमाचा है और संसद से असंवैधानिक कदम उठाने को कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इसके जरिए हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि जिन्हें भारत के बारे में कुछ नहीं पता, वो भारत के विचार की सुरक्षा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, "हिंदुस्तान का कोई मुसलमान आपसे डरता नहीं है। न मैं डरता हूँ, न इस देश के नागरिक डरते हैं।"
इन पार्टियों ने भी किया बिल का विरोध
कांग्रेस के अलावा DMK, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, DMK, जनता दल (सेक्युलर) और तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने भी बिल का विरोध करते हुए इसके खिलाफ अपनी राय रखी।
क्या है नागरिकता संशोधन बिल?
नागरिकता (संशोधन) बिल के जरिए नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ होगा। इन धार्मिक शरणार्थियों को छह साल भारत में रहने के बाद ही भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। अभी भारत की नागरिकता हासिल करने से पहले 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है।
इस कारण हो रहा बिल का विरोध
बिल के दायरे से मुस्लिम समुदाय के लोगों को बाहर रखने के कारण विपक्षी पार्टियां इसे लेकर सवाल उठा रही हैं। उन्होंने इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर के राज्यों में भी बिल का जबरदस्त विरोध हो रहा है। इन राज्यों में घुसपैठ की समस्या को धर्म की नजर से नहीं देखा जाता और उनके लिए बाहर से आए सभी लोग समान हैं चाहें वो किसी भी धर्म के क्यों न हो।