क्या भारत में कोरोना वायरस के मामले चरम सीमा पार चुके हैं?
क्या भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का पीक (चरम सीमा) गुजर गया? पिछले कुछ दिनों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं, जिसके आधार पर यह सवाल उठ रहा है। 17 सितंबर को भारत में रोजाना मिलने वाले कोरोना संक्रमितों की संख्या 93,199 पहुंच गई थी। यह महामारी की शुरुआत के बाद से सबसे ज्यादा थी। उसके बाद से यह औसत लगातार गिर रही है। 25 सितंबर तक यह गिरकर 86,270 पर आ गई है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
भारत में पहली बार लगातार आठ दिनों तक कम हुई औसत
किसी भी संक्रामक बीमारी में पीक का मतलब होता है कि उसके मामलों की संख्या एक बिंदु पर पहुंचकर कम होनी शुरू हो जाती है। महामारी की शुरुआत के बाद से भारत में पहली बार कोरोना वायरस के नए मामलों की औसत में लगातार आठ दिनों तक गिरावट आई है। यह तब हो रहा है जब पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस टेस्ट की संख्या भी बढ़ रही है। इसके साथ ही टेस्ट पॉजीटिविटी रेट भी कम हुई है।
सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में भी घट रहे मामले
25 सितंबर तक की राष्ट्रीय औसत कम होने का एक कारण यह भी है कि देश के सर्वाधिक प्रभावित पांच राज्यों में नए मरीजों के मिलने की संख्या कम हुई है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में पिछले हफ्ते के दौरान रोजाना मिलने वाले औसत मरीज कम हुए हैं। इन राज्यों में अब ग्राफ नीचे की तरफ बढ़ना शुरू हुआ है। इससे यहां स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाला दबाव कुछ कम हुआ है।
इन राज्यों में भी दैनिक औसत का पीक पार
इनके अलावा अगर अन्य बड़े राज्यों की बात करें तो कम से कम पांच ऐसे हैं, जहां रोजाना सामने आने वाले मामलों का पीक गुजर चुका है। इनमें बिहार में सबसे तेज गति से मामले कम हो रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के अलावा हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी रोजाना मिलने वाले नए मरीजों का आंकड़ा धीरे-धीरे कम हो रहा है। हालांकि, अभी भी कई राज्य हैं, जहां पीक आना बाकी है।
इन छह राज्यों में पीका आना बाकी
केरल, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा ऐसे राज्य हैं, जहां रोजाना मिलने वाले नए मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट नहीं देखी जा रही है। ये 20 सबसे प्रभावित राज्यों में से छह ऐसे हैं, जहां पीक आना बाकी है।
एक से ज्यादा पीक देख चुके ये राज्य
इनके अलावा दिल्ली, असम और तेलंगाना ऐसे राज्य हैं, जहां एक से ज्यादा बार पीक आ चुकी है। यहां पर लगातार कुछ दिनों तक मामले कम होने के बाद फिर से बढ़ने शुरू हो जाते हैं। थोड़े दिनों बाद फिर रफ्तार पर लगाम लगती है और महामारी का प्रकोप कुछ कम होता है। इसका मतलब यह है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि एक बार पीक आने पर मामले दोबारा बढ़ेंगे नहीं।
एक के बाद आ सकती है दूसरी पीक
जानकारों का कहना है कि संक्रामक बीमारियों का पीक आने का मतलब यह नहीं होता कि प्रकोप खत्म हो गया है बल्कि यह होता है कि सबसे बुरा दौर गुजर गया है। हालांकि, कई बार एक के बाद दूसरी पीक भी आ सकती है। कोरोना वायरस के बारे में ऐसी संभावना इसलिए भी जताना मुश्किल है क्योंकि यह नई महामारी है और इससे जुड़ी पूरी जानकारी अभी सामने नहीं आई है।
देश में कुल कितने मामले
अगर पूरे देश में कोरोना वायरस के कुल मामलों की बात करें तो ये 61 लाख से अधिक हो गए हैं। बीते दिन देशभर में कोरोना के 70,589 नए मरीज मिले और 776 मरीजों ने इसकी वजह से दम तोड़ा। ये 26 अगस्त के बाद आए सबसे कम मामले हैं। टेस्टों में कमी के कारण ये गिरावट आई है। इसी के साथ देश में कुल मामलों की संख्या 61,45,291 हो गई है, जिनमें से 96,318 की मौत हुई है।