2019 में रोजाना 117 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की- NCRB रिपोर्ट
देश में बेरोजगारी और आर्थिक तंगी के कारण हर साल आत्महत्याओं के मामले सामने आते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 2019 में देश में कुल 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की है। इनमें 42,840 लोग तो किसान, खेतीहर मजदूर और दैनिक वेतनभोगी शामिल हैं। मतलब पिछले साल रोजाना लगभग 117 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी किए गए आपराधिक आंकड़ों में देश की यह भयावह तस्वीर सामने आई है।
तीन साल में 4.03 लाख लोगों ने की आत्महत्या
NCRB के रिकॉर्ड के अनुसार भारत में 2017-2019 के बीच कुल 4,03,526 लोगों ने आत्महत्याएं की हैं। इनमें सबसे ज्यादा आत्महत्या साल 2019 में 1,39,123 लोगों ने की थी। इसी तरह साल 2018 में 1,34,516 और 2017 में 1,29,887 लोगों ने आत्महत्या की थी। इसके हिसाब से साल 2019 में प्रतिदिन औसतन 381, साल 2018 में 368 और साल 2017 में 355 लोगों ने आत्महत्या की थी। यह देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
कृषि क्षेत्र से जुड़े 10,000 से अधिक लोगों ने मौत को गले लगाया
NCRB के रिकॉर्ड के अनुसार साल 2019 में कृषि क्षेत्र से जुड़े कुल 10,281 लोगों ने मौत को गले लगाया है। यह कुल आत्महत्याओं का 7.4 प्रतिशत हिस्सा है। इनमें 5,957 किसान और 4,324 खेतीहर मजदूर थे। इन किसानों में से 5,563 पुरुष और 394 महिलाएं थी। इसी तरह खेतीहर मजदूरों में 3,749 पुरुष और 575 महिलाएं थी। साल 2018 में कृषि क्षेत्र से जुड़े 10,349 लोगों ने आत्महत्या की थी।
32,559 दैनिक वेतनभोगियों ने खत्म की जिंदगी
2019 में कुल 32,559 दैनिक वेतनभोगियों ने आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठाया था। यह कुल मामलों का 23.4 प्रतिशत है। इसके उलट साल 2018 में 30,132 दैनिक वेतनभोगियों ने आत्महत्या की थी। ऐसे में 2019 में इस श्रेणी में आत्महत्या का ग्राफ बढ़ा है।
कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों ने महाराष्ट्र में की सबसे ज्यादा आत्महत्या
रिकॉर्ड के अनुसार कृषि क्षेत्र से जुड़े सबसे अधिक 38.2 प्रतिशत लोगों ने महाराष्ट्र में आत्महत्याएं की है। इसी तरह कर्नाटक में 19.4 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 10 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 5.3 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ तथा तेलंगाना में 4.9 प्रतिशत लोगों ने आत्महत्या की है। हालांकि, इस अवधि में पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मणिपुर, चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप और पुदुचेरी में इस क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति ने आत्महत्या नहीं की।
आत्महत्या करने में आगे रहे दैनिक वेतनभोगी
रिकॉर्ड के अनुसार साल 2019 में हुई कुल आत्महत्याओं में से सबसे अधिक यानी 23.4 प्रतिशत आत्महत्या दैनिक वेतनभोगियों ने की थी। इसी तरह 15.4 प्रतिशत गृहिणियां, 11.6 प्रतिशत स्वरोजगार करने वाले, 10.1 प्रतिशत बेरोजगार, 9.1 प्रतिशत पेशेवर या वेतनभोगी, 7.4 प्रतिशत छात्र और कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग और 0.9 प्रतिशत सेवानिवृत्त लोगों ने आत्महत्या की थी। इसी तरह 14.7 प्रतिशत लोग अन्य व्यक्तियों की श्रेणी में शामिल हैं।
आत्महत्या करने में शिक्षित रहे सबसे आगे
साल 2019 में आत्महत्या करने के मामले में शिक्षित लोग सबसे आगे रहे हैं। रिकॉर्ड के अनुसार आत्महत्या करने वाले 23.3 प्रतिशत यानी 32,427 लोग मैट्रिकुलेशन या माध्यमिक स्तर तक शिक्षित थे। इसी तरह 19.6 प्रतिशत यानी 27,323 लोग मध्यम शिक्षित, 16.3 प्रतिशत यानी 22,649 प्राथमिक शिक्षित, 14 प्रतिशत यानी 19,508 उच्च माध्यमिक स्तर, 12.6 प्रतिशत यानी 17,588 निरक्षर और 3.7 प्रतिशत यानी 5,185 स्नातक स्तर या उससे अधिक शिक्षित थे।
विवाहितों ने की सबसे अधिक आत्महत्या
रिकॉर्ड के अनुसार 2019 में 66.7 प्रतिशत यानी 92,757 विवाहित और 23.6 प्रतिशत यानी 32,852 अविवाहितों ने आत्महत्याएं की थी। इसी तरह 1.8 प्रतिशत यानी 2,472 विधवा/विधुर, 0.71 प्रतिशत यानी 997 तलाकशुदा और 0.69 प्रतिशत यानी 963 अलग रहने वालों ने आत्महत्या की थी।