कैसे बनाई गई थी दिल्ली दंगों की योजना? चार्जशीट में पुलिस ने बताई आरोपियों की भूमिका
क्या है खबर?
इस साल फरवरी में हुए दिल्ली दंगों की चार्जशीट में पुलिस ने दावा किया है कि 2019 के आम चुनावों के नतीजे आने के बाद ही इस हिंसा की योजना बनाई जा चुकी थी। दंगे के आरोपी चुनी हुई सरकार को गिराना चाहते थे।
ये आरोप लगभग 17,000 पन्नों की चार्जशीट में से 2,695 पन्नों की 'फाइनल रिपोर्ट' का हिस्सा हैं, जो दिल्ली पुलिस ने पिछले सप्ताह कड़कड़डूमा अदालत में दायर की है।
जानकारी
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दायर की चार्जशीट
फाइनल रिपोर्ट पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की DCP पीएस कुशवाहा और ACP आलोक कुमार के हस्ताक्षर हैं।
रिपोर्ट में आतंकवाद को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि सरकार से मांग मनवाने के लिए हिंसा करना आतंकवाद है। गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) के सेक्शन 15 में आतंकवाद को साफ तौर पर परिभाषित किया गया है।
दिल्ली दंगों के बारे में पुलिस ने कहा कि आरोपी सरकार पर नागरिकता कानून वापस लेने के लिए दबाव बना रहे थे।
जानकारी
"दिल्ली में जो हुआ वो आतंकी गतिविधियों की परिभाषा के तहत आता है"
रिपोर्ट में कहा गया है, "50 से ज्यादा लोगों की मौत, 500 से अधिक लोगों को चोट पहुंचाने के अलावा आगजनी और दूसरे तरीकों से सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना स्पष्ट रूप से आतंकी गतिविधियों की परिभाषा के तहत आता है।"
दिल्ली दंगे
सरकार को ब्लैकमेल करने के लिए लिया हिंसा का सहारा- चार्जशीट
पुलिस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स, पैसे का रिकॉर्ड, व्हाट्सऐप चैट्स आदि को चार्जशीट में शामिल किया है।
चार्जशीट के अनुसार, साजिशकर्ताओं ने 'एक तीर से दो निशाने' करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान दंगे करने की साजिश रची थी। उन्होंने सरकार को ब्लैकमेल करने के लिए सांप्रदायिक हिंसा का सहारा लिया।
पुलिस का कहना है कि इस साजिश की शुरुआत पहले हो चुकी थी, लेकिन नागरिकता कानून बनने के बाद इसने सांप्रदायिक रंग ले लिया।
बैठक
चांद बाग की बैठक में हुई थी इंतजामों पर चर्चा- चार्जशीट
चार्जशीट में पुलिस ने 16-17 फरवरी की रात को चांद बाग में हुई एक बैठक के बारे में भी जानकारी दी है।
बताया गया है कि इस बैठक में साजिशकर्ताओं ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली, शाहदरा और दक्षिणी जिलों में प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी।
इस दौरान उन्होंने परिवहन का इंतजाम किया, लोगों को इकट्ठा किया और राष्ट्रीय राजधानी में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए दूसरे सामानों की व्यवस्था की।
चार्जशीट
तनाव भड़काने के लिए किया था चक्का जाम- पुलिस
दिल्ली पुलिस का कहना है कि साजिशकर्ता प्रदर्शनों को चक्का जाम में बदलना चाहते थे। चक्का जाम के बाद पुलिस से भिड़ंत होती और इस दौरान आरोपियों की मंशा पुलिसकर्मी और दूसरे लोगों पर हमला करने, नुकसान पहुंचाने और आगजनी कर सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने की थी। इसके अलावा पुलिस ने मामले में पैसे के लेेनदेन की भी जांच की है।
कड़कड़डूमा अदालत में दायर की गई इस चार्जशीट में कुल 747 गवाहों का नाम शामिल किया गया है।
पैसे का लेनदेन
आरोपियों को मिले थे 1.61 करोड़ रुपये- पुलिस
पैसों के लेनदेन के मामले में दिल्ली पुलिस का कहना है कि पांच आरोपियों को 1.61 करोड़ रुपये मिले थे।
इन आरोपियों में आम आदमी पार्टी के निष्कासित ताहिर हुसैन, इशरत जहां, मीरन हैदर, एक्टिविस्ट खालिद सैफी और शैफा-उर-रहमान शामिल हैं। इस पैसे में से 1.48 करोड़ रुपये 'प्रदर्शन स्थलों के प्रबंधन' और 'दंगों की साजिश को अंजाम' देने पर खर्च हुए थे।
पुलिस का दावा है कि इशरत को चार लाख रुपये कॉर्पोरेशन बैंक के खाते में मिले थे।
प्रतिक्रिया
आरोपियों ने किया चार्जशीट का खंडन
वहीं आरोपियों ने इस चार्जशीट का खंडन किया है। उनका कहना है कि पुलिस के पास सबूत नहीं है।
इशरत के वकील प्रदीप तियोतिया ने कहा, "यह मौलिक अधिकारों का मामला है और मेरे मुवक्किल के खिलाफ रत्ती भर भी सबूत नहीं हैं। फंडिंग से जुड़े आरोप बेबुनियाद हैं और चार्जशीट में इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं।"
इसी तरह सैफी के वकील हर्ष बोहरा ने कहा कि यह चार्जशीट पूरी तरह से बकवास है।