दिल्ली सेवा विधेयक और DPDP विधेयक बने कानून, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी मंजूरी
क्या है खबर?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के मानसून सत्र के दौरान पारित 4 विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी है।
इनमें डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (DPDP) विधेयक, दिल्ली सेवा विधेयक, जन्म और मृत्यु का पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक शामिल हैं, जो अब कानून बन गए हैं।
गौरतलब है कि तमाम विपक्षी पार्टियों ने लोकसभा और राज्यसभा में डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (DPDP) विधेयक और दिल्ली सेवा विधेयक का काफी विरोध किया था।
विधेयक
संसद में कब पारित हुआ था दिल्ली सेवा विधेयक?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 3 अगस्त को दिल्ली सेवा विधेयक पेश किया था और विपक्ष के वॉकआउट के बीच यह ध्वनिमत से पारित हो गया था।
इसके बाद 7 अगस्त को यह विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया था।
आम आदमी पार्टी (AAP) समेत विपक्षी पार्टियों ने इसका कड़ा विरोध किया था, लेकिन केंद्र सरकार इसे पारित करवाने में कामयाब हो गई थी। विधेयक के समर्थन में 131 वोट, जबकि विरोध में 102 वोट पड़े थे।
अधिनियम
क्या है दिल्ली सेवा विधेयक?
दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से जुड़े अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश की जगह लेने के दिल्ली सेवा विधेयक लाया गया था।
इसमें दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति से जुड़े सभी अधिकार दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) को दिए गए हैं।
इसका मतलब यह है कि LG दिल्ली सरकार द्वारा गठित बोर्डों और आयोगों में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण द्वारा अनुशंसित नामों के आधार पर नियुक्तियां करेंगे।
विधेयक
दोनों सदन में ध्वनिमत से पारित हुआ था DPDP विधेयक
केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 3 अगस्त को डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक को लोकसभा में पेश किया था, जिसके बाद 7 अगस्त को यह ध्वनिमत से पारित हो गया था।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने विधेयक पर दोबारा विचार करने के लिए संसदीय समिति के पास भेजने की मांग की थी, लेकिन राज्यसभा में भी विपक्ष के वॉकआउट के बीच यह विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया था।
अधिनियम
DPDP विधेयक में क्या प्रावधान हैं?
डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक में डिजिटल डाटा और निजता को लेकर कंपनियों के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं।
विधेयक के मुताबिक, नियमों के उल्लंघन पर कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और अगर कोई सोशल मीडिया यूजर अपना अकाउंट डिलीट करता है तो कंपनियों को भी उसका डाटा हटाना होगा।
केंद्र सरकार कानून का पालन कराने के लिए भारतीय डाटा सुरक्षा बोर्ड बनाएगी, जो उपभोक्ताओं की शिकायतें सुनकर हल करेगा।
विधेयक
किन और दो विधेयकों को मिली मंजूरी?
जन्म और मृत्यु का पंजीकरण (संशोधन) विधेयक में डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र बनाने का प्रावधान किया गया है, जो एकमात्र निर्णायक आयु प्रमाण बन जाएगा और एकल दस्तावेज के रूप में इसका उपयोग किया जा सकेगा।
जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक में 183 धाराओं को संशोधित कर माध्यम से छोटे अपराधों को बड़ी सजा से अपराधमुक्त किया गया है। इनमें कारावास की जगह जुर्माने का प्रावधान किया गया है और अदालत में अभियोजन की आवश्यकता नहीं होगी।