#NewsBytesExplainer: कहां है हथिनीकुंड बैराज और दिल्ली में बाढ़ के लिए कितना जिम्मेदार?
हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ने के बाद यमुना का जलस्तर बढ़ा, दिल्ली पर बाढ़ का खतरा। पिछले कुछ दिनों में आपने ये लाइनें जरूर सुनी या पढ़ी होंगी। दिल्ली में जब भी बाढ़ जैसे हालात बनते हैं तो हथिनीकुंड बैराज का नाम जरूर सामने आता है। इस बैराज को लेकर राजनीति भी खूब होती है और दिल्ली और हरियाणा सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता है। आइए आज हथिनीकुंड बैराज की पूरी कहानी जानते हैं।
कहां स्थित है हथिनीकुंड बैराज?
यह बैराज हरियाणा के यमुनानगर जिले में यमुना नदी पर बना हुआ है। यहां समझने वाली बात ये है कि ये बांध नहीं बल्कि बैराज है। यहां पानी स्टोर नहीं किया जा सकता, केवल पानी के बहाव की रफ्तार को नियंत्रित किया जा सकता है। इस बैराज से 2 नहरे भी निकलती हैं, जिनके पानी से आसपास के इलाकों में सिंचाई की जाती है। यहां से दिल्ली को भी पेयजल की आपूर्ति की जाती है।
बैराज से जुड़ी जरूरी बातें
आसान भाषा में समझें तो बैराज से 3 दिशाओं में पानी के बहाव को नियंत्रित किया जाता है। एक ओर पश्चिम यमुना नहर है, जिसमें 10 गेट हैं। इसका पानी मुख्य रूप से हरियाणा में सिंचाई के लिए भेजा जाता है। दूसरी ओर पूर्व यमुना नहर है, जो उत्तर प्रदेश की तरफ जाती है। तीसरी ओर से मुख्य यमुना नदी का पानी दिल्ली की तरफ आता है। इन नहरों से अलग-अलग छोटी-छोटी नहरें भी निकलती हैं।
कितनी है बैराज की क्षमता?
हथिनीकुंड बैराज में 10 लाख क्यूसेक पानी रोकने की क्षमता है। बैराज में 1 लाख क्यूसेक से ज्यादा मात्रा में पानी आने पर खुद ही यमुना नदी में चला जाता है। इससे ज्यादा बहाव होने पर दोनों नहरों के गेट को बंद कर दिया जाता है, ताकि नहरों को नुकसान न हो और आसपास इलाकों में पानी न घुसे। बता दें कि 18 मुख्य गेटों में से हमेशा न्यूनतम 352 क्यूसेक प्रति सेकंड की रफ्तार से पानी छोड़ा जाता है।
क्या है हथिनीकुंड बैराज का इतिहास?
बता दें कि इस क्षेत्र में पहले ताजेवाला बैराज था, जिसके स्थान पर हथिनीकुंड बैराज बनाया गया। 1994 में 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने इसका शिलान्यास किया था। 1996 में इसका निर्माण शुरू हुआ और 1999 में 168 करोड़ रुपये की लागत से बैराज बनकर तैयार हुआ। हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने इसका उद्घाटन किया था। साल 2002 से बैराज ने पूरी तरह काम करना शुरू कर दिया।
दिल्ली से क्या है बैराज का कनेक्शन?
बता दें कि बैराज दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर है। बैराज से छोड़े पानी को दिल्ली पहुंचने में करीब 72 घंटे लगते हैं। हालांकि, इस साल पानी की रफ्तार ज्यादा होने से ये कम वक्त में ही दिल्ली पहुंच गया था। दिल्ली में पीने के पानी की कुल आपूर्ति का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा भी हथिनीकुंड बैराज से ही आता है। इस लिहाज से दिल्ली के लिए ये बैराज जरूरी भी है।
अभी क्या है बैराज में पानी की स्थिति?
बैराज से आज सुबह 9 बजे 1.47 लाख क्यूसेक, 10 बजे 2.09 लाख क्यूसेक और 11 बजे 2.23 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। अगर आज इसी रफ्तार से पानी छोड़ा गया तो अगले 50 से लेकर 70 घंटों में दिल्ली में इसका असर देखने को मिल सकता है। बता दें कि 1 क्यूसेक का मतलब पानी का बहाव 28.32 लीटर प्रति सेकंड है। दिल्ली में कल रात भी यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को छू गया था।