अमेरिका में मेटा पर मुकदमे पर IT राज्य मंत्री ने कहा- हमारा भी यही इरादा
अमेरिका में मेटा के खिलाफ मुकदमा दायर होने पर भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (IT) राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को "फ्री पास" के दिन खत्म हो गए हैं और दुनियाभर में सख्त जवाबदेही लागू की जा रही है। बता दें कि अमेरिका में 40 से अधिक राज्यों ने मेटा कंपनी के खिलाफ बच्चों और किशोरों की मानसिक सेहत खराब करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है।
केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर ने क्या कहा?
NDTV को दिए अपने इंटरव्यू में केंद्रीय मंत्री ने कहा, "दुनिया ने इन प्लेटफार्म्स को बहुत छूट दी है। खासकर अमेरिका ने और अब इन चीजों पर दोबारा विचार करने का समय आ गया है।" उन्होंने कहा, "प्लेटफॉर्म्स को और अधिक जवाबदेह होना चाहिए। कंटेंट को होस्ट करने की अनुमति किसे है। मुझे लगता है कि अब फ्री पास और छूट के दिन खत्म हो गए हैं। हमारी सरकार का भी यही इरादा है।"
मेटा पर क्या आरोप हैं?
मंगलवार को कैलिफोर्निया के ओकलैंड में संघीय अदालत में 40 राज्यों द्वारा दायर मुकदमे में दावा किया गया कि फेसबुक समेत तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स संचालित करने वाली मेटा ने अपने प्लेटफार्म्स से जुड़े संभावित खतरों को लेकर जनता को बार-बार गुमराह किया है। आरोप है कि मेटा जानबूझकर ऐसे फीचर का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे बच्चों और किशोरों को लाइक्स की लत लग जाए। इससे बच्चों के आत्मविश्वास में कमी आ रही है।
मेटा पर और क्या आरोप?
आरोप लगाया गया है कि मेटा यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि युवा लोग सोशल मीडिया पर जितना संभव हो, उतना ज्यादा समय बिताएं। मेटा इस तथ्य को जानता है कि इससे उनके मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है और वे अवसाद, चिंता और अनिद्रा जैसी बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। इसमें अदालत से संघीय कानून के उल्लंघन के लिए मेटा पर जुर्माना लगाने की मांग की गई है।
भारत में बच्चों पर सोशल मीडिया का क्या प्रभाव?
भारत में हाल ही में हुए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में सामने आया था कि 9 से 17 वर्ष की आयु के 60 प्रतिशत युवा प्रतिदिन 3 घंटे से अधिक समय सोशल मीडिया या गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर बिताते हैं। इसमें ये भी सामने आया था कि सोशल मीडिया की लत से बच्चों में अवसाद और चिंता का खतरा बढ़ रहा है। इस अध्ययन में सामने आया था कि सोशल मीडिया सकारात्मक प्रभावों की तुलना में अधिक नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।